नई दिल्ली। केंद्र में सरकार बनाने के बाद से ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का रुझान विदेशों में बसे भारतीय समुदाय की ओर रहा है। अपने लगभग हर विदेश दौरे पर वह वहां बसे भारतीय समुदाय को संबोधित करते रहे हैं। भारत से बाहर निकलकर पूरी दुनिया में फैली उनकी लोकप्रियता के पीछे भी इन अनिवासी भारतीयों का अहम योगदान रहा है।अब मोदी सरकार इस अनिवासी भारतीय समुदाय को लुभाने की ओर बड़ा दांव चलने की तैयारी में है और जल्द ही लोकसभा और विधानसभा चुनावों में वोट डालने का अधिकार दे सकती है।
केंद्र सरकार ने चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की एक पीठ से कहा कि वह अनिवासी भारतीयों को मताधिकार देने के उद्देश्य से जन प्रतिनिधित्व अधिनियम में संशोधन करने का प्रस्ताव दिया है और आगामी शीतकालीन सत्र के दौरान वह इस संबंध में एक विधेयक पेश करने पर विचार कर रही है।
25 करोड़ प्रवासी कर सकेंगे वोटिंग
केंद्र सरकार ने सैद्धांतिक रूप से जन प्रतिनिधित्व कानून में संशोधन को मंजूरी दे दी है। अगर मोदी सरकार का यह विधेयक दोनों सदनों में राजनीतिक अड़ंगा पार करने में सफल रहता है तो दुनियाभर के देशों में बसे 2.5 करोड़ अनिवासी भारतीयों को प्रॉक्सी वोटिंग का अधिकार मिल जाएगा। प्रॉक्सी वोटिंग का आशय है कि उन्हें मत डालने के लिए खुद नहीं आना पड़ेगा, बल्कि किसी प्रतिनिधि के जरिए वे अपने मत डाल सकेंगे।
अब तक सिर्फ विदेशों में तैनात सुरक्षा कर्मियों को ही प्रॉक्सी वोटिंग का अधिकार था, लेकिन एनआरआई को दिया जाने वाला प्रॉक्सी वोटिंग का अधिकार सैनिकों को मिले प्रॉक्सी वोटिंग के अधिकार के समान नहीं होगा। विदेशों में तैनात भारतीय सैनिक जहां हर तरह के चुनाव के लिए किसी एक सदस्य को पर्मानेंट रीप्रेजेंटेटिव घोषित कर सकते हैं, वहीं प्रस्ताव के अनुसार, छत्प् को हर चुनाव के लिए रिप्रेजेंटेटिव घोषित करना होगा। दो प्रवासी भारतीय नागरिकों केरल मूल के शमसेर वीपी और इंग्लैंड के संगठन प्रवासी भारतश् के चेयरमैन नागेंदर चिंदम ने सुप्रीम कोर्ट में इस संबंध में याचिका दाखिल कर रखी हैं, जिसकी सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने यह खुलासा किया।