काठमांडू। नेपाल के काठामांडू में गुरुवार को तीन वर्षीय तृष्णा शाक्या को नई ‘जीवित देवीÓ का दर्जा दिया गया है। नेपाल की पुरानी परंपरा के तहत जीवित देवी के तौर पर बच्ची की पूजा की जाती है। तृष्णा को अब किशोरावस्था में प्रवेश करने तक अपने परिवार से अलग एक विशेष महल या मंदिर में देवी की तरह रहना होगा। गुरुवार को एक आयोजन के दौरान तृष्णा को उनके घर से एक ऐतिहासिक दरबार में ले जाया गया। इस दौरान उन्हें लाल पोशाक पहनाई गई और पूरा शृंगार किया गया। दरबार स्क्वायर में तृष्णा की पूजा की गई, इसके बाद उनके पिता उन्हें देवी महल तक लेकर गए। ‘जीवित देवी के लिए नेवार समुदाय की तृष्णा का चयन चार उम्मीदवारों में से हुआ है। तृष्णा की देखभाल के लिए एक विशेष नियुक्ति की गई है। साल में सिर्फ 13 बार कुंवारी महल से निकलेंगी |जीवित देवी के तौर पर तृष्णा को घर से दूर ‘देवी महल में रहना होगा और कुछ नियमों का पालन भी करना होगा। तृष्णा एक साल के दौरान सिर्फ 13 बार विशेष दावत दिवस पर देवी महल से बाहर निकल पाएंगी। पिता खुश भी और दुखी भी|तृष्णा के पिता बैजया रत्न शाक्या ने इस मौके पर कहा कि उनके अंदर मिलाजुला भाव है। वह बेटी के जीवित देवी के तौर पर चुने जाने अच्छा और सौभाग्य की बात मानते हैं, वहीं बेटी के अपने पास से दूर होने पर उनको दुख भी है।
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