ऑयल थेरपी से ऐसे पाएं सेहत

डॉक्टरों के अनुसार रोजमैरी तेल से आपकी यादाशत के साथ पाचन तंत्र संबंधी बिमारियों का इलाज काफी प्रभावकारी तरीकों से किया जा सकता है।
सालों से नैचरल तरीकों के इस्तेमाल से शरीर की सारी थकान को दूर करने के लिए मसाज आदि का सहारा लिया जाता रहा है। मगर अब इसके लिए कई तरह की जड़ी-बूटी व फूलों के अर्क से तैयार इसेंशल ऑयल का इस्तेमाल होने लगा है। हालांकि जहां इनसे आपको ग्लोइंग स्किन मिलती है, वहीं इनका गलत तरीके से इस्तेमाल जानलेवा साबित होता है। चलिए जाने इन फायदेमंद तेलों से जुड़े कुछ ऐसे ही जरूरी तथ्य…
किस तरह की सावधानी बरतें
दरअसल इस तरह की सावधानी बरतने की और भी ज्यादा जरूरत तब पड़ती है जब इन्हें आपको खाने के लिए कहा जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इन तेलों में उसके सोर्स प्लांट के तत्व काफी कॉन्सनट्रेट्ड रूप में मौजूद होते हैं, जिनसे इन्हें अपना गुणकारी महत्व हासिल होता है। इसलिए मापकर इनकी कुछ बूंदे लेना ही काफी रहता है। वहीं सेंसिटिव स्किन वाले छोटे बच्चों,प्रेगनेंट महिला और दमा मरीज या सांस लेने जैसी कोई समस्या वाले लोगों को इन इसेंशल ऑयल के इस्तेमाल से बचना चाहिए। हालांकि उनके लिए अब अलग इसेंशल ऑयल भी मौजूद हैं।
किस तरह करें इस्तेमाल
जानकारों की मानें तो हमेशा आपको इन्हें ड्राप फॉर्म में ही यूज करना चाहिए। इन्हें छोटे व डार्क शीशी में ही रखना होता है। इसके अलावा ज्यादातर समय इन तेलों के स्ट्रॉन्ग इफेक्ट के कारण नारियल, ऑलिव या तिल के तेल के साथ मिलाकर इस्तेमाल करना होता है। वहीं ग्रेप सीड्स, स्वीट आमंड, सनफ्लॉवर, पीनट और सोया ऑयल को भी कैरियर ऑयल के तरह इस्तेमाल किया जा सकता है। आइए जानते हैं कौन से तेल किस काम आते हैं…
अदरक
इसके लिए अदरक की जड़ों का इस्तेमाल होता है। डॉक्टरों के अनुसार इससे अपच, गठिया जैसे रोग, ट्रैवल सिक्नस, कोल्ड-फ्लू, डायरिया, बुखार, छाले, कब्ज, साइनसाइटिस और स्किन एलर्जी संबंधी कई रोगों का उपचार संभव है। वहीं अपच के लिए इस तेल की 3 बूंद में 2 बूंदे पेपरमिंट ऑयल की मिलाएं। फिर 20 मि.ली. कैरियर ऑयल के साथ 5 बूंद लेमन के मिलाकर पेट पर मालिश करने से फायदा होता है। इसके साथ ही किसी भी तरह के दर्द के लिए 4 बूंद जिंजर ऑयल के साथ 6 बूंदे ब्लैक पेपर ऑयल की उस जगह पर मालिश करनी चाहिए।
वेटिवर
ये एक तरह की ट्रॉपिकल ग्रास होती है जिसकी जड़ का अर्क निकालकर तेल बनाते हैं। इन्हें किसी भी दर्द और मेन्स्ट्रूअल क्रैम्प्स के लिए यूज करने से जहां राहत मिलती है, वहीं आपका स्ट्रेस भी कम होता है। इसके अलावा इनका कई कॉस्मेटिक बनाने में भी इस्तेमाल होता है। हालांकि इनके स्ट्रॉन्ग अरोमा की वजह से किसी भी मिश्रण में सिर्फ दो बूंद डालना ही काफी होता है। मेन्स्ट्रूअल क्रैम्प्स में इसके साथ 8 बूंद मार्जरम को मिलाकर अपने निचले पेट की दिन में दो बार मसाज करनी होती है।
सैंडलवुड 
ट्रडिशनली सैंडलवुड ऑयल को काफी सूदिंग माना गया है। इसलिए इस तेल का इस्तेमाल कैंडल, परफ्यूम आदि के लिए काफी होता है। हालांकि ये आपके संपूर्ण सेहत और मानसिक स्वास्थ्य के लिए काफी अच्छा रहता है, इससे आपकी यादाशत भी तेज होती है। मगर मिरगी के मरीजों को इसके इस्तेमाल से परहेज करना चाहिए। वहीं इसकी 3 बूंद को 2 बूंद ऑरेंज के साथ मिलाकर नहाने से डिप्रेशन के इलाज में फायदा होता है।
हल्दी 
हल्दी के कई तरह के फायदों से हम वाकिफ हैं, मगर तेल के रूप में इसका इस्तेमाल आपको कई तरह की जानलेवा बिमारियों से लडऩे की शक्ति देता है। आमतौर पर इनसे पाचन और स्ट्रेस संबंधी इलाज ही किया है। दर्द के लिए इस तेल की 4 बूंद को 4 बूंद अदरक, 2 बूंद वेटिवर के साथ 20 मि.ली. कैरियर ऑयल के साथ मसाज करने से काफी आराम मिलता है। वहीं अपच के लिए इसमें कुछ बूंदे लैमन ग्रास और अदरक की मिला लेनी चाहिए।
लैवंडर
ये आपके नर्वस सिस्टम को रिलैक्स करता है इसलिए इसे स्ट्रेस के साथ ही ऐंटीसेप्टिक स्वभाव होने की वजह से कोल्ड-फ्लू जैसी बिमारियों का भी इलाज होता है। वहीं इस्तेमाल में सबसे सेफ इस तेल से अस्थमा व माइग्रेन का भी इलाज होता है। दमा के मरीजों के सीने और पीठ में इससे मालिश करने से काफी आराम मिलता है।
रोजमैरी
डॉक्टरों के अनुसार रोजमैरी तेल से आपकी यादाशत के साथ पाचन तंत्र संबंधी बिमारियों का इलाज काफी प्रभावकारी तरीकों से किया जा सकता है। इसमें पाया जाता कारनॉसॉल एक काफी अच्छा ऐंटीऑक्सीडेंट होता है जिससे कैंसर जैसी बीमारी का भी इलाज अब किया जाने लगा है।
पेपरमिंट
अपने कूलिंग एहसास के साथ ये तेल कब्ज, माइग्रेन और दूसरे दर्दों में राहत पहुंचाता है। इसकी कुछ बूंदों को पेट पर मसलने से एसिड की समस्या दूर होती है। मगर इनका इस्तेमाल बच्चों की स्किन पर नहीं करना चाहिए क्योंकि उनकी स्किन काफी सेंसिटिव होती है।
टी ट्री
इससे आपका इम्यून सिस्टम स्ट्रॉन्ग बनता है जो आपको कई तरह के वाइरल, फंगल और बैक्टीरियल इंफेक्शन से बचाता है। ये काफी गुणकारी और यूज करने में सेफ होता है। स्किन इंफेक्शन के लिए इसमें सैंडलवुड और लैवंडर को मिलाकर लगाते हैं। वहीं ये किसी भी तरह की चोट पर सीधा लगाया जा सकता है।

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