पटना। उदीयमान सूर्य को अघ्र्य देने के साथ ही आज छठ का पर्व समाप्त हो गया। दो दिन से चल रहे है इस त्योहार को लेकर देशभर में काफी धूम थी। काशी, युमना, पटना, और गंगा घाटों में कल से छठव्रतियों का तांता लगा था। कल शाम डूबते सूर्य को अघ्र्य देकर उपासना की गई और आज सुबह भी आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा। छठव्रतियों ने 36 घंटे के बाद अपना व्रत खोला। जमशेदपुर, काशी, आगरा, मथुरा, गया, पटना, बंगाल, धनबाद में भी आज सुबह अघ्र्य के बाद छठ का समापन हुआ। आगरा में रामबाग स्थित सीताराम घाट, ताजमहल के पास में मौजूद दशहरा घाट के अलावा अन्य छोटे-छोटे घाटों पर छठव्रतियों की भीड़ अलसुबह से ही दिखी। मथुरा में भी रिफाइनरी में मौजूद छठव्रतियों ने उगते सूर्य को अघ्र्य देकर छठ पूजा का समापन हुआ। इससे पहले कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि पर गुरुवार को सूर्योपासना का महापर्व छठ परंपरागत श्रद्धा व उल्लास के साथ मनाया गया। महिलाओं ने सारा दिन व्रत रखा और शाम को डूबते सूर्य (अस्ताचलगामी) को प्रथम अघ्र्य देकर पति एवं पुत्र के लिए मंगल कामना की। शुक्रवार को व्रती महिलाओं ने उदय होते सूर्य देव को अघ्र्य दिया। हजारों की संख्या में महिलाओं ने घुटने तक पानी में खड़े होकर पूजा-अर्चना की तथा सजे-धजे सूपों को हाथ में लेकर सूर्यदेव को अघ्र्य दिया। पूजन के दौरान संपूर्ण वातावरण छठ मइया एवं सूर्यदेव की जय-जयकार से गुंजायमान रहा। लोकपर्व डाला छठ पर गुरुवार को लाखों व्रतियों ने डूबते सूर्य को अघ्र्य दिया। संध्या बेला में पूरी काशी ही छठमय दिखाई पड़ी। गंगा-वरुणा तट से लेकर काशी के सभी कुंड, तालाब और पोखरे जनसमूह से पटे रहे। डीरेका स्थित सूर्य सरोवर पर भी अघ्र्य देने वालों की भारी भीड़ रही।
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