वॉशिंगटन। अमेरिका के छह प्रभावी सांसदों ने अमेरिकी विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन से पाकिस्तान को धार्मिक स्वतंत्रता के उल्लंघन के मुद्दे पर विशेष चिंता का विषय वाला देश नामित करने की मांग की है। सीनेटरों का कहना है कि पाक में भेदभाव वाले कानून के जारी रहने का परिणाम आस्था वाले लोगों के मुकदमे के रूप में सामने आ रहा है।सीनेटर बॉब मेनेनडेज, मार्को रबियो, क्रिस कून्स, टॉड यंग, जेफ मर्कले और जेम्स लैंकफोर्ड ने विदेश मंत्री टिलरसन को एक पत्र लिखा है। यह पत्र 13 नवंबर की उस अंतिम सीमा से पहले लिखा गया है जिसके अंतर्गत विदेश विभाग को विशेष चिंता का विषय वाला देश (सीपीसी) के संबंध में कांग्रेस को अधिसूचित करने की जरूरत है। सीनेटरों ने पत्र में लिखा, ‘पाकिस्तान की सरकार लगातार संस्थागत रूप से आक्रामक और मौजूदा धार्मिक स्वतंत्रता के उल्लंघन को बर्दाश्त करने के साथ ही इसे बढ़ावा दे रही है। भेदभावपूर्ण संवैधानिक प्रावधान और ईशनिंदा और अहमदिया विरोधी उपाय जैसे कानूनों से लोगों को अपनी आस्था के कारण कैद व मुकदमों का सामना करना पड़ रहा है।
गौरतलब है कि पाकिस्तान में ईसाई, हिंदू, अहमदी और शिया मुस्लिमों जैसे धार्मिक अल्पसंख्यक समुदायों को आतंकी संगठनों और अन्य सामाजिक तत्वों द्वारा प्रेरित सांप्रदायिक हिंसा का शिकार होना पड़ा है। ईशनिंदा से करीब 40 लोगों को मौत या उम्रकैद की सजा हुई है। आतंकवाद पर पाक की कार्रवाई का इंतजार अमेरिका की कार्यवाहक सहायक विदेश मंत्री एलिस जी. वेल्स ने कहा कि अमेरिका को आतंकवाद पर पाकिस्तान की कार्रवाई का आने वाले दिनों में इंतजार रहेगा। वेल्स ने कहा यह संप्रभु पाकिस्तान की पसंद का सवाल है। यह पाक के भी हित में है।
इस संबंध में अमेरिका कोई निर्देश नहीं दे रहा है। हमने अपनी रणनीति को बता दिया है। उन्होंने कहा कि अमेरिका ने पाकिस्तान को अहम देश माना है। अब यह पाकिस्तान पर निर्भर करता है कि वह हमारे साथ मिलकर काम करना चाहता है या नहीं। अगर नहीं करता है तो जैसा विदेश मंत्री ने कहा है, हम उसके अनुसार अपने को तैयार करेंगे। ज्ञात हो कि रेक्स टिलरसन ने पाकिस्तान को आतंकवाद पर कार्रवाई के लिए अल्टीमेटम देते हुए कहा है कि अगर आतंकी संगठनों पर कार्रवाई नहीं हुई तो अमेरिका अपने तरीके से निपटेगा।