लखनऊ। यूपी की मोहब्बत की नगरी कहे जाने वाले आगरा जिले में पिछले दिनों विदेशी युगल पर हुए हमले में नया मोड़ सामने आ गया है। यहां विदेशी जोड़े पर हमले के आरोप में पकड़े गए नाबालिग बच्चों के परिजनों ने पुलिस को कटघरे में लाकर खड़ा कर दिया है। पीड़ित परिवार वालों पुलिस पर ऐसे आरोप लगाए हैं कि जिसे सुनकर आप की आंखों से भी आंसू टपकने लगेंगे।
क्या है पूरा मामला?
पहले हम आप को इस घटना के बारे में बता दें ताकि आप पूरा मामला समझ जाएं। फिर इस घटना की हकीकत हमले के आरोप में पकड़े गए नाबालिग भाइयों के माता-पिता की जुबानी सुनाते हैं। बता दें कि पिछले महीने 30 सितंबर को अपनी गर्लफ्रेंड मेरी द्रोज के साथ भारत आए क्यून्टीन जेर्मी क्लॉर्क भारत घूमने आये हैं। घटना 22 अक्टूबर 2017 दिन रविवार के दोपहर करीब एक बजे की है। स्विट्जरलैंड के लोसने निवासी क्वांटम क्लार्क और उनकी मित्र मैरी ड्राग फतेहपुर सीकरी पहुंचे थे। वह स्मारक देखने के बाद कस्बे से होते हुए तेरहा दरवाजे के नजदीक अरावली पहाड़ियों की तरफ चले गए। आरोप है कि वह पहाड़ी पर घूम ही रहे थे कि किसी सिरफिरे व्यक्ति ने उन पर पत्थर फेंकना शुरू कर दिया। जिससे क्वांटम के सिर और कान के पास चोट लगी, जबकि मैरी के हाथ में चोट आई। चोटिल पर्यटकों ने इसकी जानकारी क्षेत्रीय लोगों को दी तो उन्होंने घटनाक्रम से पुलिस को अवगत कराया। इसके बाद थाना पुलिस उन्हें सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लेकर पहुंची। यहां उनका उपचार किया गया। क्वांटम ने डॉ. पीयूष अग्रवाल से एक कान से सुनाई नहीं देने की बात कही। इसके बाद उन्हें जिला चिकित्सालय रेफर किया गया। क्वांटम की चोट गंभीर होने पर उन्हें दिल्ली गेट स्थित निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। एसओ फतेहपुर सीकरी प्रदीप कुमार ने बताया कि विदेशी पर्यटकों की तहरीर पर एफआईआर दर्ज कर हमले के आरोप में राहुल, पंकज, हनीफ, मुकुल और सनी को गिरफ्तार किया गया है सभी ने अपना जुर्म कबूल किया है। पुलिस का दावा है कि पकड़े गए आरोपी घायल युवती के मोबाईल में मिली तस्वीरों के आधार पर शिकंजे में आये।
पांच साल से खा रहा दवाई, लेकिन उठा ले गई पुलिस
विदेशी जोड़े पर हमले के आरोप में पकड़े गए तेरहा गांव के रहने वाले पंकज और उसके छोटे भाई मुकुल के पिता रामस्वरूप, माता रामवती ने जब घटना की हकीकत बताई तो वहां मौजूद लोगों ने पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाने शुरू कर दिए। पीड़ित परिवार ने बताया कि उनके बड़े बेटे पंकज का लीवर ख़राब है उसका पिछले पांच साल से आगरा के एक प्रतिष्ठित डॉक्टर के यहां से इलाज चल रहा है। वह दवाई के बिना उठ बैठ भी नहीं सकता। लेकिन पुलिस ने उसे और और उसके छोटे भाई को पूछताछ के बहाने थाने बुलाया और जेल भेज दिया। पीड़ितों का कहना है कि उनके दोनों बेटे निर्दोष हैं।
मां ने समझा बड़े भाई की रिपोर्ट पर आई पुलिस
पंकज की मां रामवती ने बताया कि उनके पति और जेठ के बीच झगड़ा हुआ था। जब पुलिस उनके घर आई तो उन्होंने समझा कि जेठ की शिकायत पर ही पुलिस घर आई और उनके पति और ससुर को पकड़ कर थाने ले गई। उनके परिवार वालों को बेटों के पकड़े जाने के बाद हमले की जानकारी हुई। आरोप है कि पुलिस ने उनके बेटों को नेताओं के दबाव के चलते फंसाया है, वो दोनों निर्दोष हैं।
पुलिस ने पिता को पीटकर जुर्म कबूल कराया
रामस्वरूप ने बताया कि पुलिस उन्हें और उनके पिता को थाने ले गई। थाने ले जाने के बाद पिता को छोड़ दिया। उन्हें दो दिन तक थाने में पीटा और जेल भेजने की धमकी दी। पुलिस ने रास्ते में गलियां दी और लात घूसों से पीटकर बेटों को बुलाया औरदूसरे दिन जमानत का हवाला देकर जेल भेज दिया।
परिवार पर टूटा दुःखों का पहाड़
पिछले पांच साल से बेटे की दवाई में कंगाल हुए परिवार पर पुलिस ने एक और कहर ढा दिया। आरोप है कि पुलिस ने अपनी पीठ थपथपाने के लिए एक गरीब के बेटों को जेल भेज दिया। अब पीड़ित परिवार बेटे के इलाज के साथ ही मुकदमें के झमेले में फंस गया है। मेहनत मजदूरी करके परिवार का पेट पालने वाले गरीब सरकारी डंडे की मार में इस कदर फंसे हैं कि उनकी आंखों के आंसू तक सूख गए हैं।
रोज क्रिकेट खेलने जाते थे गांव के बच्चे
नाबालिग पंकज और मुकुल की भाभी हेमा ने बताया कि उनके देवर रोज गांव के बच्चों के साथ क्रिकेट खेलने जाते थे। घटना के दिन भी वह क्रिकेट खेलने गए थे। लोगों की भीड़ जमा देख वह भी वहां देखने लगे थे। लेकिन उन्हें नहीं पता था कि किसी और के द्वारा की गई हरकत के चलते बच्चों को सलाखों के पीछे भेजा जायेगा। इस घटना से गरीब परिवार टूट सा गया है।
कैमरे में बच्चों के साथ खींचे थे फोटो
पीड़ितों के मुताबिक, पुलिस जिन तस्वीरों को युवती के मोबाईल में कैद मिलने का ढिंढ़ोरा पीट रही है। वो तस्वीरें मोबाईल में नहीं बल्कि कैमरे में खींची गईं थीं। पीड़ित परिवार का कहना है कि रोज की तरह बच्चे उस दिन भी क्रिकेट खेल रहे थे। इस दौरान बच्चों के साथ विदेशी प्रेमी जोड़े ने तस्वीरें खुद खिंचवाईं थीं। लेकिन पुलिस ने मामला मुख्यमंत्री से लेकर विदेश मंत्री के संज्ञान होने और सरकारी दबाव के चलते इन तस्वीरों को गलत तरीके से पेश कर बेगुनाहों को जेल भेज दिया।
सार्वजानिक स्थान पर अश्लीलता कर रहे थे विदेशी युगल
विदेशी पर्यटकों पर हुए हमले के बाद कई सवाल उठ रहे हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि विदेशी पर्यटक सार्वजानिक स्थान पर अश्लीलता (किस) कर रहे थे। जब लोगों ने इसका विरोध किया तो भी वो नहीं माने तो अज्ञात हमलावरों ने उन पर हमला कर दिया और फरार हो गए। हालांकि पहले दिन पुलिस विदेशी पर्यटकों का भरोसा क्यों नहीं जीत पाई? पुलिस ने पहले दिन ही गिरफ्तारी के प्रयास क्यों नहीं किए? जख्मी हालत में विदेशी पर्यटकों को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सीकरी से जिला अस्पताल प्राइवेट गाड़ी से भेजा गया था। स्वास्थ्य केंद्र में विदेशी युवक ने इंजेक्शन तक लगवाने से इंकार कर दिया था। घटना के बाद पुलिस ने यह कहकर मामले को हल्का करने का प्रयास किया कि पर्यटकों ने किसी को नहीं देखा। जबकि ऐसा नहीं था। हमलावरों का उनसे आमना-सामना हुआ था। बताया जा रहा है कि विदेशी पर्यटकों को पत्थर ही नहीं एक डंडा भी मारा गया था। संभवत: यह जानकारी पुलिस को पहले दिन हो गई थी। मामला तूल पकड़ सकता है इस भय से पुलिस ने इसे छिपाए रखा था। विदेशी पर्यटकों पर हमले की गुरुवार सुबह विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने इस पर संज्ञान लिया। योगी सरकार से रिपोर्ट मांगी थी। इसके बाद पुलिस ने राहुल, पंकज, हनीफ, मुकुल और सनी को गिरफ्तार किया था।