जयपुर । विश्वविख्यात पुष्कर मेला अब परवान चढऩे लगा है। बाजार में जहां देशी-विदेशी पर्यटकों की भीड़ नजर आ रही है, वहीं पशु मेले में देश के विभिन्न प्रांतों से पहुंचे पशु विक्रेता और खरीददार भी मेले की रौनक बढ़ा रहे हैं। मेले के चलते तीर्थराज पुष्कर में राजस्थानी संस्कृति की रंग-बिरंगी छटा नजर आ रही है। मेला मैदान में हो रही पारम्परिक प्रतियोगिताएं देशी-विदेशी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केन्द्र बनी हुई है । रेगिस्तान के जहाज के नाम से विख्यात ऊंट जहां रेतीले धोरों में एक टांग पर दोड़ लगाकर पर्यटकों का मनोरंजन कर रहे हैं, वहीं देशी-विदेशी पर्यटकों के बीच फु टबॉल, बॉलीबाल, कबड्डी, सितोलिया जैसे पारम्परिक खेल प्रतिदिन आयोजित किए जा रहे हैं। दूल्हा-दुल्हन की तरह सजे ऊटों की नृत्य प्रतियोगिता में 11 ऊट-ऊटनी ने बारी-बारी से ढोल की थाप पर डांस किया। इस दौरान पशु-पालक भी पारम्परिक वेशभूषा में नजर आए। मेले में जहां पशुओं की खरीद-फ रोख्त हो रही है, वहीं पर्यटक तीर्थराज पुष्कर सरोवर के घाटों पर शाम के समय होने वाली आरती और रोशनी का आंनंद ले रहे हैं। पुष्कर में स्थित विश्व के एक मात्र ब्रहमा मंदिर और सावित्री माता मंदिर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालू पहुंच रहे हैं। अजमेर जिला कलेक्टर गौरव गोयल का कहना है कि इस वर्ष का मेला अब तक के मेलों से कई मामलों में भिन्न है। इस बार पर्यटक भी काफी संख्या में आए है। मेले से जुड़े लोगों का कहना है कि फ्रांस, इटली, अमेरिका, दुबई, नीदरलैंड सहित कई देशों से विदेशी पर्यटक मेले में पहुंच रहे हैं। मेला 4 नवम्बर तक चलेगा।
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