लंदन। सऊदी अरब में पिछले कुछ दिनों में भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग में कई राजकुमारों को गिरफ्तार किया गया है। गिरफ्तार राजकुमार में एशिया का वॉरेन बफेट कहे जाने वाले प्रिंस अल्वालीद बिन तलाल भी शामिल हैं। सऊदी में इन गिरफ्तारियों से पहले लेबनान के प्रधानमंत्री साद हरिरी रियाद पहुंचते हैं और अपने पद से इस्तीफे की घोषणा कर देते हैं। इसके बाद खबर आती है कि फलस्तीन के नेता मोहम्मद अब्बास को रियाद से बुलावा आया है। विश्लेषक इन सभी घटनाक्रम को सऊदी के भावी किंग मोहम्मद बिन सलमान अल सउद को और मजबूत बनाने कि दिशा में उठाया गया कदम मान रहे हैं।
इन गिरफ्तारियों को 32 वर्षीय क्राउन प्रिंस सलमान का सऊदी की घरेलू तथा विदेशी नीति में पूरे कंट्रोल के तौर पर देखा जा रहा है। कहा जा रहा है कि भावी किंग सलमान सऊदी में सभी तरह के अधिकारों पर पूरा नियंत्रण करना चाह रहे हैं। कई जानकार इसे उनके लिए एक बड़ा खतरा मान रहे हैं। कुछ का मानना है कि सलमान का यह कदम बिना किसी ताकतवर बाहरी समर्थन के संभव नहीं है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने किंग सलमान को फोन कर इन गिरफ्तारियों का समर्थन किया था। ट्रंप के दामाद जे. कशनर ने कुछ दिन पहले रियाद का गुप्त दौरा भी किया था। कहा जा रहा है कि अमेरिका ने इस समर्थन के लिए पूरी कीमत भी वसूली है।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या भावी किंग सलमान का यह उदय लगातार जारी रहेगा या फिर उन्होंने सिर्फ अपने विरोधियों को किनारे लगाया है। शाही परिवार के सदस्यों को देश नहीं छोडऩे को कहा गया है। इन कार्रवाईयों के बाद कहा जा रहा है कि भावी किंग सलमान ने देश के चार पिलर शाही फैमिली, बिजनस शेखों, सुरक्षा तंत्र और धर्म पर एकसाथ मजबूत पकड़ बना ली है।