नई दिल्ली। केंद्रीय महिला व बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने कहा है कि भारत पूरी तरह से बाल मजदूरी को खत्म करने के अपने लक्ष्य के प्रति प्रतिबद्ध है। वह अर्जेन्टीना सरकार और अतंर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के तत्वाधान में अर्जेन्टीना में आयोजित ‘बालश्रम निरंतर उन्मूलन’ के चौथे वैश्विक सम्मेलन को संबोधित कर रही थी। अपने संबोधन के दौरान गांधी ने कहा, भारत पूरी तरह से नीति और कानून सुधार, सतत आर्थिक विकास, श्रम मानकों के प्रति सम्मान, सार्वभौमिक शिक्षा और सामाजिक सुरक्षा पहल के माध्यम से बाल मजदूरी को देश से उखाड़ फेंकने के प्रति प्रतिबद्ध है। उन्होंने बाल श्रम कानून 1986 में किये गये संशोधन को सरकार के द्वारा उठाया गया सबसे महत्वपूर्ण कदम बताया। बता दें कि इस कानून के अंतर्गत 14 वर्ष के कम उम्र के बच्चों से मजदूरी करवाना कानूनन अपराध है। साथ ही 14-18 वर्ष तक के बच्चों से भी हानिकारक काम करवाना कानूनन जुर्म है। मेनका गांधी ने आगे कहा कि बाल यौन उत्पीडऩ और बाल तस्करी पर सरकार एक नया कानून लाने जा रही है जो ना केवल उन्हें तस्करी से बचाएगी बल्कि उनके पुनर्वास और उनके सुधार के लिए कार्यक्रम भी चलाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 और मनरेगा अधिनियम 2005 दो ऐसे विधेयक लाए गए थे जो कमजोर वर्ग के लोगों की सुरक्षा और बाल मजदूरी की रोकथाम के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ। इस दौरान गांधी ने चाइल्ड हेल्पलाइन नंबर (1098) का भी जिक्र करते हुए कहा कि संकट में फंसे बच्चों की सुरक्षा के लिए यह दुनिया की सबसे बड़ी सुविधा है।
बाल मजदूरी को देश से उखाड़ फेंकने के लिए सरकार प्रतिबद्ध : मेनका गांधी
