पद्मावती फिल्म के विरोध में चित्तौडग़ढ़ किले पर प्रदर्शन

पाडनपोल धरना स्थल पर चेतावनी दी थी कि 16 नवंबर तक फिल्म पर बैन नहीं लगा तो 17 को किलाबंदी कर पर्यटकों का प्रवेश रोक दिया जाएगा।

चित्तौडग़ढ़/जयपुर। संजय लीला भंसाली की आने वाली फिल्म पद्मावती के विरोध में शुक्रवार को चित्तौडग़ढ़ किला बंद कर दिया गया। पद्मावती के विरोध में सभी राजनीतिक दल व संगठन एक हो गए हैं। गुरुवार सुबह से ही सभी समाज के लोग यहां प्रदर्शन करने पहुंचे। सर्व समाज ने कहा कि शाम तक सरकार से कोई सकारात्मक जवाब या कार्रवाई नहीं होने पर आगे की कार्रवाई के बारे में बताया जाएगा। किलाबंदी से पर्यटकों को निराशा हाथ लगी। फिल्म पद्मावती के प्रदर्शन के विरोध में सर्वसमाज ने 17 नवंबर को चित्तौड़ के किले को बंद रखने का ऐलान किया था। पाडनपोल धरना स्थल पर चेतावनी दी थी कि 16 नवंबर तक फिल्म पर बैन नहीं लगा तो 17 को किलाबंदी कर पर्यटकों का प्रवेश रोक दिया जाएगा। इसे लेकर गुरुवार को दिनभर आंदोलन से जुड़े लोग सक्रिय रहे। पुलिस प्रशासन ने भी सुरक्षा के इंतजाम किए। सर्वसमाज के आंदोलन से जुड़े जौहर स्मृति संस्थान के अध्यक्ष उम्मेदसिंह धौली के मुताबिक शुक्रवार को किला पर्यटकों के लिए बंद रहेगा हालांकि किले में रहने वालों की आवाजाही जारी है वहीं ट्रेन भी चित्तौड़ में रुकेगी। रेलवे ने शाही ट्रेन के पर्यटकों को सीधे उदयपुर ले जाने का निर्णय लिया है। पाडनपोल पर गुरुवार को भी धरना जारी रहा। राजपूत समाज की महिलाओं ने दुर्ग पर आक्रोश दिखाया। उन्होंने चेतावनी दी ‘सम्मान मिटा जिंदा रहने की हसरत मिट जाएगी, लेकिन ज्वाला से लिखी हुई तारीख मिट पाएगी।महिलाओं ने किले के नीचे बने जौहर भवन में वेदियों में ज्वाला प्रज्जवलित कर आक्रोश को मुखर किया। फिर तलवारें लिए किले पर पहुंच गईं। जौहर स्थली पर भी प्रदर्शन किया। इधर, भारतीय पुरातत्व एवं सर्वेक्षण विभाग के संरक्षण सहायक प्रेमचंद शर्मा ने जोधपुर मुख्यालय जाकर किला बंद रहने की जानकारी दी। किसी आंदोलन को लेकर दुर्ग पर पर्यटकों का प्रवेश बंद पहली बार होगा। इससे पहले 1992, 2002 और 2008 में शहर में कफ्र्यू या सांप्रदायिक तनाव के दौरान जरूर पर्यटक दुर्ग पर नहीं जा सके थे, लेकिन तब इसके लिए औपचारिक ऐलान नहीं हुआ था। राजस्थान में करणी सेना, बीजेपी लीडर्स और हिंदूवादी संगठनों ने इतिहास से छेड़छाड़ का आरोप लगाया है। राजपूत करणी सेना का मानना है कि ?इस फिल्म में पद्मिनी और खिलजी के बीच इंटिमेट सीन फिल्माए जाने से उनकी भावनाओं को ठेस पहुंची है। लिहाजा, फिल्म को रिलीज से पहले पार्टी के राजपूत प्रतिनिधियों को दिखाया जाना चाहिए। ऐसा करने से रिलीज के वक्त फिल्म के लिए सहूलियत रहेगी और तनाव के हालात से बचा जा सकेगा।

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