हिंदी विश्वविद्यालय में पंडित दीनदयाल उपाध्याय की विचार दृष्टि : संकल्प से सिद्धि पर गोष्ठी
वर्धा : देश और संस्कृति के अनुसार तकनीकी का उपयोग होना चाहिए और इसमें देशानुकुल तथा युगानुकुल बनाना चाहिए। तकनीकी के बदलाव के कारण विश्व हमारी तरफ देख रहा है। पंडित दीनदयाल उपाध्याय का एकात्म मानव दर्शन भारत की उन्नति का आधार है और वह विश्व को दिशा देने वाला भी है। उक्त विचार सामाजिक चिंतक, प्रज्ञा प्रवाह नई दिल्ली के राष्ट्रीय संयोजक जे. नंदकुमार ने व्यक्त किये। वे महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय में गुरुवार, 16 नवंबर को पंडित दीनदयाल उपाध्याय का एकात्म मानव दर्शन : प्रासंगिकता एवं व्यवहार्यता’ विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी में बतौर मुख्य वक्ता बोल रहे थे।
विचार गोष्ठी के उदघाटन समारोह की अध्यक्षता कुलपति प्रो. गिरीश्वर मिश्र ने की। इस अवसर पर साहित्यकार डॉ. कुमार शास्त्री, नागपुर विशिष्ट अतिथि उपस्थित थे। मंच पर संगोष्ठी के स्वागताध्यक्ष विश्वविद्यालय के जनसंचार विभाग के अध्यक्ष प्रो. अनिल कुमार राय उपस्थित थे। यह संगोष्ठी पंडित दीनदयाल उपाध्याय की विचार दृष्टि : संकल्प से सिद्धि पर केंद्रीत थी। संगोष्ठी का उदघाटन गालिब सभागार में किया गया।
जे. नंदकुमार ने आगे कहा कि जिनके पास तकनीकी है वह पूरे विश्व को चला रहे हैं और भारत भी इसमें अग्रसर हो रहा है। परंतु हमें तकनीकी का स्वीकार हमारी संस्कृति के अनुसार करना चाहिए। उन्होंने पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जीवन दृष्टि और चिंतन पर गंभीरता से विमर्श करने की आवश्यकता पर बल दिया। साहित्यकार एवं शिक्षाविद डॉ. कुमार शास्त्री, नागपुर ने कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय के विचार युवा पीढी को अवगत कराने चाहिए। आज के युवाओं को चित्र के साथ-साथ चरित्र का भी पता होना अनिवार्य है। उन्होंने पंडित दीनदयाल उपाध्याय के जीवन के अनेक प्रसंगों को अपने वक्तव्य में उदघाटित किया।
अध्यक्षीय वक्तव्य में कुलपति प्रो. गिरीश्वर मिश्र ने कहा कि शैक्षणिक क्षेत्र में नियमित रूप से नवाचार की आवश्यकता है। हमारी शिक्षा पद्धति विदेशों नहीं बल्कि देश की जरूरतों के हिसाब से होनी चाहिए और शिक्षा में परिवर्तन होते रहने चाहिए। उन्होंने कहा कि पंडित दीनदयाल का चिंतन एकात्म मानव केंद्रित है और वह एक नये मानव-विकास की ओर ले जाने वाला है। उन्होंने कहा कि जितने अधिक हम अहंकार को त्याग देंगे उतने अधिक आध्यात्मिक बनेंगे। सदियों से भारत विचार परंपरा का देश रहा है और भारत के विचार सब के लिए है। हम जीवन में कर्म की प्रधानता पर विश्वास रखने वाले हैं।
कार्यक्रम के प्रारंभ में प्रो. अनिल कुमार राय प्रस्तावना रखी। दीप प्रज्ज्वलन और दीनदयाल उपाध्याय की प्रतिमा पर माल्यार्पण से कार्यक्रम का प्रारंभ किया गया। विद्यार्थियों ने विश्वविद्यालय का कुलगीत प्रस्तुत किया। इस अवसर पर माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय, भोपाल के प्रो. श्रीकांत सिंह की दो पुस्तकों का लोकार्पण अतिथियों द्वारा किया गया। मंचासीन अतिथियों का स्वागत चरखा, शॉल, सूतमाला और नारियल प्रदान कर किया गया।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय की कार्य परिषद के सदस्य, वरिष्ठ पत्रकार, सामाजिक-सांस्कृतिक चिंतक सुधीर पाठक, प्रो. अरुण कुमार भगत, प्रो. चंद्रकांत रागीट, श्रीकांत सिंह, विश्वविद्यालय के प्रो. हनुमान प्रसाद शुक्ल, प्रो. के. के. सिंह, प्रो. अरबिंद कुमार झा, प्रो. वृषभ प्रसाद जैन, प्रो. प्रीति सागर, प्रो. गोपाल ठाकुर, डॉ. शोभा पालीवाल, डॉ. मनोज कुमार राय, डॉ. धरवेश कठेरिया, डॉ. अख्तर आलम, डॉ. रेणु सिंह, संदीप कुमार वर्मा, श्रीमती विशाखा सहित विश्वविद्यालय के अध्यापक, शोधार्थी एवं विद्यार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित थे। एकदिवसीय विचार गोष्ठी में विभिन्न विषयों पर आधारित सत्रों में विमर्श किया गया।