नयी दिल्ली। श्रीलंका के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने नेट निरपेक्षता की खुलकर वकालत करते हुए कहा कि इंटरनेट तक निर्बाध पहुंच वंचितों को आवाज देने तथा समान अवसर उपलब्ध करवाने के लिए बहुत मायने रखती है। वे यहां साइबर स्पेस पर वैश्विक सम्मेलन के उद्घाटन कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि नेट निरपेक्षता सुनिश्चित करने की जरूरत है। यह ऐसा सिद्धांत जो अमेरिका सहित दुनिया के अनेक हिस्सों में गंभीर संकट में है। ‘नेट निरपेक्षता ही वह मूल सिद्धांत है जो कि इंटरनेट सेवा प्रदाताओं को स्पीड बढाने या घटाने अथवा किसी आनलाइन सामग्री को प्रतिबंधित करने से रोकता है। उन्होंने नेट निरपेक्षता को इंटरनेट के परिचालन के तरीके में दिशा निर्देशक सिद्धांत बताया। नेट निरपेक्षता से आशय इंटरनेट का इस्तेमाल करने की आजादी से है। यानी इसमें इंटरनेट या ब्राडबैंड सेवा का कोई हस्तक्षेप नहीं रहता कि उसके उपयोक्ता किस तरह की सामग्री देखेंगे या नहीं। विक्रमसिंघे ने कहा कि नेट निरपेक्षता के बल पर मुक्त इंटरनेट समाज के दबे व वंचित तबकों को अपनी बात कहने, सुनाने का मंच प्रदान करता है। उन्होंने इस बारे में हाल ही के कई उदाहरण दिए। उद्घाटन कार्यक्रम को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने भी संबोधित किया।
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