लखनऊ। प्रदेश के प्रमुख सचिव, चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास, संजय आर. भूसरेड्डी ने बताया कि वर्तमान पेराई सत्र 2017-18 में उ.प्र. राज्य का चीनी उत्पादन एवं चीनी परता अन्य गन्ना उत्पादक राज्यों महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना, गुजरात एवं पंजाब से कहीं अधिक है। ताजा आंकडां के अनुसार अब तक प्रदेश में 12.79 लाख मीट्रिक टन चीनी का उत्पादन हुआ है, जबकि महाराष्ट्र में 12.27, कर्नाटक में 4.16 और गुजरात में 1.51 लाख मीट्रिक टन। इसी तरह शुगर रिकवरी के मामले में भी उ.प्र. आगे चल रहा है। प्रदेश की औसत रिकवरी 9.80 प्रतिशत है, जबकि महाराष्ट्र और कर्नाटक में यह क्रमशः 9.10 एवं 8.61 प्रतिशत है।
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा दिये गये निर्देशों के क्रम में और गन्ना मंत्री के मार्गदर्शन में उ.प्र. में वर्तमान पेराई सत्र में चीनी मिलां का संचालन गत वर्ष की अपेक्षा पहले कराया गया और इसी के परिणामस्वरूप उ.प्र. गन्ना पेराई, चीनी उत्पादन और शुगर रिकवरी में अग्रणी चल रहा है।
प्रमुख सचिव ने जानकारी दी कि वर्तमान सत्र 2017-18 में अब तक संचालित 109 चीनी मिलों द्वारा 130.55 लाख टन गन्ने की पेराई सुनिश्चित कर 12.79 लाख टन चीनी का उत्पादन किया जा चुका है और औसत चीनी रिकवरी 9.80 प्रतिशत है, जबकि गत वर्ष में इस तिथि तक 101 चीनी मिलों द्वारा 84.10 लाख टन गन्ने की पेराई करके 8.19 लाख टन चीनी बनायी गयी थी तथा चीनी रिकवरी 9.74 प्रतिशत थी।
भूसरेड्डी ने बताया कि शासन की शीर्ष प्राथमिकता के अनुसार गन्ना किसानों को त्वरित गन्ना मूल्य भुगतान कराने के निर्देश दिये गये हैं, जिसके फलस्वरूप पेराई सत्र 2017-18 में देय गन्ना मूल्य 2054.07 करोड़ रुपये का भुगतान अब तक सुनिश्चित कराया जा चुका है, जबकि गत वर्ष इस तिथि तक मात्र 467.23 करोड़ रुपये का ही गन्ना मूल्य भुगतान हो सका था। अर्थात् अबतक गत वर्ष में गन्ना मूल्य के किये गये भुगतान के सापेक्ष 1586.84 करोड़ रुपये अधिक का भुगतान कराया गया है।