नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर मंगलवार से अपनी आखिरी सुनवाई शुरू की। लेकिन पक्षकारों के वकीलों की दलीलें सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की अगली तारीख बढ़ा दी। अगली सुनवाई 8 फरवरी 2018 को होगी।
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर की तीन सदस्यीय विशेष पीठ चार दीवानी मुकदमों में इलाहाबाद हाई कोर्ट के 2010 के फैसले के खिलाफ दायर 13 अपीलों पर सुनवाई कर रही है। हाई कोर्ट ने अपने फैसले में अयोध्या में 2.77 एकड़ के इस विवादित स्थल को इस विवाद के तीनों पक्षकार सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और भगवान राम लला के बीच बांटने का आदेश दिया था।
हजारों पन्नों के अदालती दस्तावेजों का अंग्रेजी में अनुवाद न होने के कारण सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले पर पांच दिसंबर से सुनवाई करने का निर्णय लिया था. अनुवाद अब पूरा हो चुका है. अदालत ने सभी पक्षकारों को हिन्दी, पाली, उर्दू, अरबी, पारसी, संस्कृत आदि सात भाषाओं के अदालती दस्तावेजों का 12 हफ्ते में अंग्रेजी में अनुवाद करने का निर्देश दिया था. उत्तर प्रदेश सरकार को विभिन्न भाषाओं के मौखिक साक्ष्यों का अंग्रेजी में अनुवाद करने का जिम्मा सौंपा गया था.
शिया वक्फ बोर्ड के इस हस्तक्षेप का अखिल भारतीय सुन्नी वक्फ बोर्ड ने विरोध किया. उसका दावा है कि उनके दोनों समुदायों के बीच पहले ही 1946 में इसे मस्जिद घोषित करके इसका न्यायिक फैसला हो चुका है जिसे छह दिसंबर, 1992 को गिरा दिया गया था. यह सुन्नी समुदाय की है. हाल ही में एक अन्य मानवाधिकार समूह ने इस मामले में हस्तक्षेप का अनुरोध करते हुए शीर्ष अदालत में एक अर्जी दायर की और इस मुद्दे पर विचार का अनुरोध करते हुए कहा कि यह महज संपत्ति का विवाद नहीं है बल्कि इसके कई अन्य पहलू भी हैं जिनके देश के धर्म निरपेक्ष ताने बाने पर दूरगामी असर पड़ेंगे.