नई दिल्ली। 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले के पहले मामले में पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा और द्रमुक सांसद कनिमोड़ी समेत सभी आरोपी तीनों मामलों में बरी हो गए हैं। फैसला आते ही कोर्टरूम तालियों से गूंज उठा। बताया जा रहा है कि सबूतों के अभाव में सभी अरोपियों को बरी किया गया है। फैसला सुनाते वक्त जज ने कहा कि सीबीआई आरोप साबित करने में नाकाम रही है। अब सवाल यह उठता है कि घोटाला हुआ, तो फिर किसने किया फैसला आने के बाद खुशी जाहिर करते हुए, कनिमोड़ी ने कहा, ‘मैं अपने उन सभी समर्थकों का धन्यवाद करती हूं, जो इस मुश्किल दौर में मेरे साथ खड़े रहे।
डीएमके के वरिष्ठ नेता दुराय मुरुगन ने कहा कि विजय अब शुरू हुई, राजनैतिक उद्देश्यों के साथ यह मामला हमारे ऊपर थोपा गया था। हमारे खिलाफ षड्यंत्र रचे गए थे, लेकिन अब सब कुछ साफ हो गया है। इधर मनमोहन सिंह सरकार में पूर्व वित्त मंत्री रहे पी चिदंबरम ने कहा कि हमारी सरकार पर लगे बड़े घोटाले का आरोप झूठा था। आज यह साबित हो गया है। इधर डीएमके समर्थकों में पटियाला हाउस कोर्ट के बाहर गजब का उत्साह देखने को मिल रहा है।
फैसला आते ही समर्थकों ने कोर्टरूम में ही तालियां बजानी शुरू कर दी थीं। इसके बाद कोर्ट के बाहर मिठाइयां बांटी गईं। कुछ समर्थकों ने कोर्ट के बाहर आतिशबाजी भी की। इस मामले में पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा, द्रमुक सांसद कनिमोड़ी के अलावा रिलायंस अनिल धीरूभाई अंबानी समूह (एडीएजी), यूनिटेक लिमिटेड, डीबी रीयल्टी व अन्य पर आरोप हैं। कोर्ट ने इस घोटाले से जुड़े सभी आरोपियों को फैसला सुनाए जाते वक्त मौजूद रहने का आदेश दिया है।
पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा और द्रमुक सांसद कनिमोझी दिल्ली स्थित पटियाला कोर्ट पहुंच गए हैं। दूसरी ओर ए राजा और कनिमोझी के समर्थकों से कोर्ट परिसर भरा हुआ है। सीबीआइ द्वारा पहला आरोपपत्र दाखिल किए जाने के बाद 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले की सुनवाई छह साल पहले शुरू हुई थी। इससे संबंधित सभी मामलों की सुनवाई विशेष न्यायाधीश ओपी सैनी कर रहे हैं। गौरतलब है कि दो मामले सीबीआइ ने दायर किए हुए हैं, जबकि एक प्रवर्तन निदेशालय ने दायर किया है।
सीबीआइ द्वारा दायर पहले मामले में ए राजा और कनिमोड़ी के अलावा पूर्व दूरसंचार सचिव सिद्धार्थ बेहुरा, राजा के पूर्ववर्ती निजी सचिव आरके चंडोलिया, स्वान टेलीकॉम के प्रवर्तक शाहिद उस्मान बलवा, विनोद गोयनका, यूनिटेक लिमिटेड के प्रबंध निदेशक संजय चंद्रा, रिलायंस अनिल धीरूभाई अंबानी समूह के तीन शीर्ष कार्यकारी गौतम दोषी, सुरेंद्र पिपारा तथा हरिनायर पर मामला चल रहा था।
क्या है 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला
2010 में आई एक सीएजी रिपोर्ट में 2008 में बांटे गए स्पेक्ट्रम पर सवाल उठाए गए थे। इसमें बताया गया था कि स्पेक्ट्रम की नीलामी के बजाए ‘पहले आओ, पहले पाओ’ के आधार पर इसे बांटा गया था। इससे सरकार को एक लाख 76 हजार करोड़ रुपए का घाटा हुआ था। इसमें इस बात का जिक्र था कि नीलामी के आधार पर लाइसेंस बांटे जाते तो यह रकम सरकार के खजाने में जाती। दिसंबर 2010 में सुप्रीम कोर्ट ने 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला मामले में विशेष अदालत बनाने पर विचार करने को कहा था। 2011 में पहली बार स्पेक्ट्रम घोटाला सामने आने के बाद अदालत ने इसमें 17 आरोपियों को शुरुआती दोषी मानकर 6 महीने की सजा सुनाई थी। इस घोटाले से जुड़े केस में एस्सार ग्रुप के प्रमोटर रविकांत रुइया, अंशुमान रुइया, लूप टेलीकॉम के प्रमोटर किरण खेतान उनके पति आई पी खेतान और एस्सार ग्रुप के निदेशक विकास सरफ भी आरोपी हैं।