नई दिल्ली। भारत और चीन के बीच बढ़ते गतिरोध के बीच दोनों देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की बैठक दिल्ली में शुरू हो गई है। भारत और चीन के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की बैठक में सबसे अहम डोकलाम का मुद्दा रहने वाला है। भारत की तरफ से अजीत डोभाल तो चीन के यांग जियाची इस बैठक का नेतृत्व कर रहे हैं। दोनों के बीच इस तरह की यह 20वीं वार्ता है। 4,000 किमी लंबी सीमा पर शांति कैसे बनी रहे इसे लेकर दोनों मंथन करने वाले हैं। वैश्विक समुदाय भी इस वार्ता पर नजर रखे है, क्योंकि दोनों देश कुछ अर्सा पहले ही एक दूसरे से उलझ चुके हैं। 16 जून से लेकर 28 अगस्त के दौरान 73 दिनों तक दोनों देशों की सेनाओं के बीच हुई रस्साकसी सारी दुनिया के लिए चर्चा की विषय बन गई थी, लेकिन तमाम तनातनी के बाद दोनों तरफ से न तो कोई गोली चली और न ही कोई सैनिक हताहत हुआ। लिहाजा इस मसले को दोनों ही देश गंभीरता से ले रहे हैं। चीन का मानना है कि इस विवाद से मिले सबक से भविष्य में छोटे-मोटे विवादों को निपटाने में मदद मिलेगी। उसका मानना है कि भारत से बातचीत में डोकलाम पर विशेष तौर पर चर्चा होने की पूरी संभावना है। भारत का भी मानना है कि इस विवाद पर चर्चा की पूरी संभावना है, क्योंकि उसके बाद से दोनों देशों के बीच सीमा को लेकर यह पहली वार्ता है। ओबीओआर भी चर्चा का विषय रहेगा। भारत इसे लेकर अपना विरोध दर्ज करा चुका है। रूसी विदेश मंत्री के भारत को ओबीओआर में शामिल होने का न्योता देने पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार का कहना है कि सारे पहलुओं पर गौर कर रही है, लेकिन पहले शंकाओं को समाधान बेहद जरूरी है।
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