उत्तराखंड ब्यूरो
साथ ही एक बड़ा सवाल भी उत्पन्न हो गया है वो किसकी सुने ?
नैनीताल। उत्तराखंड सरकार द्वारा छपी पुस्तकों को ही पाठ्यक्रम में अनिवार्य रूप से शामिल करने के लिए उत्तराखंड के सभी स्कूलों को सलाह देने पर भ्रम पैदा हो गया है अभिभावको में की वे किन पुस्तकों को खरीदें, NCERT की CBSE द्वारा मान्यता प्राप्त स्कूलों में या फिर राज्य सरकार द्वारा छापी हुई।
वर्तमान परिदृश्य को देखते हुए उत्तराखंड सरकार को स्पष्ट करना चाहिए
सीबीएसई दिल्ली से संबद्ध इन विद्यालयों को किन किताबों का पालन करना चाहिए
1. NCERT दिल्ली द्वारा मुद्रित पुस्तकें
2. राज्य सरकार द्वारा मुद्रित पुस्तकें
एनसीईआरटी दिल्ली कहती है कि सभी सीबीएसई संबद्ध स्कूलों में एनसीईआरटी दिल्ली द्वारा प्रकाशित पुस्तकों का पालन पिछले कई वर्षों से किया जा रहा है ताकि वे एनसीईआरटी दिल्ली द्वारा मुद्रित एक ही किताबों का अनुसरण कर सकें।
राज्य शिक्षा बोर्ड एवं राज्य में केंद्रीय बोर्ड के साथ जुड़े विद्यालयों में उत्तराखंड सरकार द्वारा पुस्तकें प्रकाशित की जाएंगी।
अब सवाल ये उठता है कि जो वितरण का तरीका उत्तराखंड सरकार द्वारा उठाया गया है वो किन मानदंडों पर है ताकि प्रभावी ढंग से राज्यों में पुस्तकों का वितरण सुनिश्चित किया जा सके ??
विक्रेताओं को नियुक्त करते समय किन औपचारिकताओं का ध्यान रखा गया है, क्या इनके लिए किसी योग्यता को ध्यान में रखा गया या सिर्फ खास लोगों में रेवड़ियां बांटी गयीं हैं ?
क्या ये कदम उत्तराखंड राज्य के अलग-अलग हिस्सों में विक्रेताओं के आत्मनिर्भरता के लिए उठाया गया है या फिर इसके पीछे की कहानी कुछ और है ???
इस आदेश की आड़ में ये प्रकाशक किताबों के साथ साथ अतिरिक्त कार्यपुस्तिका को अनिवार्य रूप से थोपने का कार्य करने में लगे हुए हैं।
उपरोक्त कारण पर्याप्त हैं ये विचार करने लिए की कहीं ये किसी गोरखधंधे को जन्म तो नही दे रहा?ये कुछ प्रज्वलित प्रश्न हैं जो उत्तराखंड सरकार को स्पष्ट करना चाहिए।
कारण कुछ भी हो इन सब सरकारी दांव पेंच में अभिभावकों को पिसना पड़ रहा है