रोहिंग्याओं के जले गांवों में सैन्य अड्डे बना रहा म्यांमार

लंदन। म्यांमार भले ही यह कह रहा हो कि वह अपने यहां से भागे रोहिंग्या मुस्लिमों को दोबारा देश बुलाने को तैयार है लेकिन असल में ऐसा होना मुश्किल है। दरअसल, म्यांमार कथित तौर पर उन गांवों में अपने सैन्य अड्डे बनाना शुरू कर चुका है जहां एक समय में रोहिंग्या मुस्लिम रहा करते थे लेकिन बीते साल अगस्त में छिड़ी हिंसा के बाद इन गांवों को जला दिया गया था।
ऐमनेस्टी इंटरनैशनल ने सोमवार को विस्तृत सैटलाइट तस्वीरें जारी की, जिसमें पाया गया है कि जले हुए गांवों की जगह अब नए सैन्य अड्डों ने ले ली है। बता दें कि रोहिंग्याओंल के खिलाफ म्यांमार सेना के अभियान को संयुक्त राष्ट्र ने नस्ली सफाया करार दिया था। ऐमनेस्टी की क्राइसिस रेस्पॉन्स डायरेक्टर तिराना हसन ने कहा, रखाइन राज्य का पुनर्निर्माण बेहद गोपनीय तरीके से हो रहा है। प्रशासन को विकास के नाम पर नस्ली सफाये के उसे अभियान को आगे नहीं बढ़ाने देना चाहिए।
टेलीग्राफ के मुताबिक, ऐमनेस्टी की नई तस्वीरों के अध्ययन से यह साबित होता है कि रखाइन के आखिरी 3 सैन्य अड्डे जनवरी से अब तक बने हैं, जबकि अभी भी कई निर्माणाधीन हैं। हसन ने आगे बताया, हमने देखा कि सेना द्वारा नाटकीय पैमाने पर जमीन कब्जे में ली गई है। उन्हीं सुरक्षाबलों के लिए नए अड्डे बनाए जा रहे हैं जिन्होंने रोहिंग्याओं के खिलाफ, मानवता के खिलाफ जाकर अपराध किए हैं।
इतना ही नहीं तस्वीरों में यह भी दिख रहा है कि शरणार्थी स्वागत केंद्रों के बाहर सेना ने बाड़ लगा दिए हैं और भारी संख्या में सैनिक तैनात हैं। बता दें कि बीते साल अगस्त में रखाइन प्रांत में हिंसा शुरू होने के बाद अब तक 7 लाख रोहिंग्या म्यांमार छोड़कर जा चुके हैं। इसी साल म्यांमार और बांग्लादेश सरकार में रोहिंग्याओं को वापस भेजने को लेकर सहमति बनी थी।

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