नई दिल्ली। भारत में निर्मित पहली हाई-स्पीड ट्रेन जून में शुरू की जाएगी। सेमी हाई-स्पीड सेगमेंट वाली इस ट्रेन की रफ्तार 160 किमी प्रति घंटे होगी। यह मेट्रो की तरह इलेक्ट्रिक ट्रैक्शन पर चलेगी। इसे खींचने के लिए किसी लोकोमोटिव की जरूरत नहीं होगी। इस ट्रेन की एक खासियत तेजी से रफ्तार पकडऩा भी है। इससे सफर का समय कम करने में मदद मिलेगी। यह प्रीमियम शताब्दी एक्सप्रेस ट्रेनों में से किसी की जगह लेगी।
15 कोच वाली इस ट्रेन में बैठने के लिए चेयर-कार और सभी आधुनिक सुविधाएं रहेंगी।इसकी कीमत लगभग 100 करोड़ रुपये है। इसके हर डिब्बे की कीमत 6 करोड़ रुपये है। यह बिल्कुल इसी तरह की डिजाइन वाले यूरोपियन डिब्बों की तुलना में 40 पर्सेंट सस्ता है। चेन्नई में भारतीय रेलवे के मालिकाना हक वाली इंटिग्रल कोच फैक्ट्री ट्रेन की मैन्युफैक्चरिंग कर रही रही है।
इंडियन कोच फैक्ट्री (आईसीएफ) के जनरल मैनेजर सुधांशु मणि ने कहा, यह पहली सेमी हाई-स्पीड ट्रेन होगी, जिसकी मैन्युफैक्चरिंग खुद भारतीय रेलवे कर रहा है। यह ट्रेन 160 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलने में सक्षम होगी। यह देश की सबसे तेज रफ्तार वाली ट्रेन बन जाएगी।
उन्होंने कहा कि अगर यह ट्रेन सफल रहती है तो धीरे-धीरे इसे सभी शताब्दी ट्रेनों की जगह दे दी जाएगी। मणि ने कहा कि इसकी सीट दूसरी ट्रेनों की तुलना में बड़ी रहेगी। आईसीएफ भारतीय रेलवे का प्रमुख कोच मैन्युफैक्चरर्स में से एक है। अब यह सरकार की मेक इन इंडिया पहल के तहत हाई-एंड ट्रेन बनाने की ओर कदम बढ़ा रहा है। मणि ने कहा, हम इस साल रिकॉर्ड 1,100 एलएचबी डिब्बों सहित 2,500 रेल डिब्बों का प्रॉडक्शन करेंगे।
उन्होंने कहा कि जर्मनी की लिंक-हॉफमैन बुश के डिवेलप किए गए एलएचबी कोच न्यू-जेनरेशन पैसेंजर्स की सुविधा वाले कोच हैं। अब आईएफसी एक कदम आगे बढऩे की योजना बना रही है और यूरोपीय मानकों के हिसाब से हल्की बॉडी वाली अल्युमीनियम ट्रेनों की मैन्युफैक्चरिंग करने की कोशिश कर रही है।
मणि ने कहा, एल्युमीनियम ट्रेन सेट 2020 में शुरू हो सकता है। यह ज्यादा एनर्जी-एफिशिएंट होगा और यूरोपियन स्टैंडर्ड्स के अनुसार रहेगा। यह भारत में रेल टेक्नॉलजी के लिए एक बड़ी छलांग होगी। भारतीय रेलवे इसके लिए इंटरनैशनल टेक्नॉलजी पार्टनर्स के साथ भागीदारी कर रहा है। ये ट्रेनें दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-हावड़ा मार्गों पर राजधानी ट्रेनों की जगह ले सकती हैं।