30 साल बाद बदलेगी राष्ट्रीय वन नीति

नई दिल्ली। देश में 30 साल बाद राष्ट्रीय वन नीति में बदलाव किए जाने की तैयारी है। नए ड्राफ्ट में क्लाइमेंट चेंज, ग्रीन कवर में कमी और आबादी के क्षेत्र में जंगली पशुओं के घुस आने जैसी नई उभरी समस्याओं को भी शामिल किया जाएगा। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने नैशनल फॉरेस्ट पॉलिसी 2018 का ड्राफ्ट तैयार किया है, जिसमें स्थायी वन प्रबंधन के जरिए क्लाइमेट चेंज की समस्या से निपटने का समाधान पेश किया है।नई नीति के तहत वैज्ञानिक प्रक्रिया के जरिए देश के एक तिहाई हिस्से को वन क्षेत्र बनाने और उसकी रक्षा के लिए कड़े नियमों के पालन पर जोर दिया जाएगा। यह नई नीति 1988 की वन नीति की जगह लेगी। नई पॉलिसी में पर्यावरण संतुलन और स्थिरता के साथ ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उभरी क्लाइमेट चेंज जैसी समस्याओं को भी कवर किया जाएगा। मंत्रालय ने इस प्रस्ताव पर पर्यावरण सेस को जगह नहीं दी है, लेकिन कई ऐसे क्लॉज शामिल किए हैं, जो पहले विवादित रहे हैं। इस नई पॉलिसी में वनों के विकास के लिए पीपीपी मॉडल को भी लागू करने का प्रस्ताव है। ड्राफ्ट के मुताबिक, वनों के संरक्षण और उनमें वृद्धि के लिए पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप को लागू किया जाएगा। यह नीति वन निगमों के क्षेत्र और उनके दायरे से बाहर भी लागू होगी। इस प्रस्ताव पर पर्यावरणविदों को ऐतराज भी हो सकता है, जो वन संरक्षण में निजी सेक्टर के दखल का विरोध करते रहे हैं।

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