थमता दिख रहा आप में विवाद

नई दिल्ली। मानहानि केस में अकाली दल नेता बिक्रम सिंह मजीठिया को दिए अरविंद केजरीवाल के माफीनामे से उठा तूफान फिलहाल थमता दिख रहा है। माफीनामे के बाद आम आदमी पार्टी (आप) की पंजाब इकाई में इस्तीफे का दौर शुरू हो गया था लेकिन रविवार को दिल्ली में आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल, पंजाब प्रभारी मनीष सिसोदिया और पंजाब से आए विधायकों के बीच मीटिंग हुई, जिसके बाद मामला कुछ शांत होता दिख रहा है।
आप के पंजाब में 20 से से 10 विधायक मीटिंग में पहुंचे। पार्टी ने कहा कि कुछ विधायक निजी वजहों से नहीं आए। ढाई घंटे चली मीटिंग के बाद विधायकों के सुर बदले नजर आए। उन्होंने कहा कि हमें बताया गया कि कई कोर्टों में कई केस होने की वजह से यह माफीनामा दिया गया है लेकिन पंजाब में ड्रग्स के खिलाफ हमारी जंग जारी रहेगी। जो विधायक नहीं आए हैं, वे भी नाराज नहीं हैं और अगर हैं तो हम जाकर बात करेंगे। हालांकि विरोध का झंडा बुलंद करने वाले विधायक सुखपाल सिंह खैरा नहीं पहुंचे। मीटिंग में पार्टी के 20 में से 10 विधायक ही पहुंचे, जिससे यह संकेत तो साफ हैं कि पार्टी में कुछ उथल-पुथल अभी भी बाकी है, लेकिन इसकी संभावना खत्म हो गई है कि पार्टी टूट सकती है।
क्या समझाया विधायकों को
मीटिंग के बाद पार्टी नेता और विधायक अमन अरोड़ा ने कहा कि मीटिंग अच्छे माहौल में हुई। उन्होंने कहा कि पिछले दो दिनों से हम माफीनामे को लेकर हैरान जरूर थे और हम खुद केजरीवाल से सुनना चाहते थे कि उन्होंने ऐसा क्यों किया और इसके पीछे क्या वजह थी। मीटिंग में हमें डिटेल में वजह बताई गई और हमें भी वह जायज लगा। अमन अरोड़ा ने कहा कि अरविंद केजरीवाल पर 22 शहरों में 33 मानहानि के केस चल रहे हैं, जिन्हें फास्ट ट्रैक कर दिया गया है। अब हमें भी यह समझ आ गया है कि आम आदमी पार्टी के विरोधी नेताओं और हुक्मरानों का एक ही एजेंडा है। वह चाहते हैं कि किसी तरह केजरीवाल को जेल में भेजा जाए और दो साल बाद वह फिर चुनाव ही नहीं लड़ पाएंगे। आप विधायक ने कहा कि देश को एक ही ईमानदार नेता मिला है और उसे भी विरोधी जेल भेजना चाहते हैं। मीटिंग में मौजूद पार्टी विधायकों ने कहा कि किसी के लिए एक ही केस झेलना मुश्किल होता है और यहां 33 केस झेलना और मुश्किल है। साथ ही हमें विरोधियों की साजिश भी समझ आ रही है।
तो क्या होगा ड्रग्स के खिलाफ लड़ाई का
पार्टी नेता अमन अरोड़ा ने कहा कि माफीनामा एक सोचा-समझा कदम है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि पंजाब में ड्रग्स के खिलाफ हमारी लड़ाई खत्म हो गई है। उन्होंने उलटा पंजाब के सीएम अमरिंदर सिंह को इस मसले पर घेरा। आप विधायक ने कहा कि पंजाब में आज भी ड्रग्स का धंधा वैसे ही चल रहा है। अरविंद केजरीवाल ने तो सिर्फ मजीठिया से माफी मांगी है लेकिन अमरिंदर सिंह को वाहेगुरु से और पंजाब के लोगों से माफी मांगनी चाहिए। उन्होंने कसम खाई थी कि मजीठिया को अंदर करेंगे और ड्रग्स को खत्म करेंगे। आप विधायक ने कहा कि अब जब रिपोर्ट भी मजीठिया की तरफ इशारा कर रही है तो अमरिंदर को उनके खिलाफ कदम उठाया चाहिए।
अब आगे क्या
मीटिंग में शामिल विधायकों ने कहा कि हम पंजाब जाकर लोगों को बताएंगे कि किस मजबूरी में यह माफीनामा दिया गया है। साथ ही यह भी बताएंगे कि माफीनामे का मतलब यह नहीं है कि ड्रग्स के खिलाफ लड़ाई खत्म हो गई। हम लोगों को बताएंगे कि किस तरह अमरिंदर सिंह ने वादाखिलाफी की है। हमारी सरकार वहां नहीं है, लेकिन जो सरकार में हैं उन्हें कदम उठाना चाहिए। माफीनामे के बाद आप की पंजाब यूनिट के संयोजक भगवंत मान और सह संयोजक अमन अरोड़ा ने पद से इस्तीफा दिया था, जिसे अभी पार्टी ने स्वीकार नहीं किया है। हालांकि बगावत का झंडा बुलंद करने वाले विधायक सुखपाल सिंह खैरा का मीटिंग में न आना इस बात का संकेत है कि वह नाराज हैं और अभी इसका और भी इजहार कर सकते हैं। हालांकि अमन अरोड़ा ने दावा किया कि पूरी पार्टी एक साथ है और पूरी राज्य इकाई एकजुट है।

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