कर्नाटक की सिद्धारमैया सरकार के मास्टरस्ट्रोक से लिंगायत पर दुविधा में बीजेपी

बेंगलुरु। कर्नाटक विधानसभा चुनाव से ठीक पहले सिद्धारमैया के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने सोमवार को बड़ा फैसला लेते हुए लिंगायत समुदाय को अलग धर्म का दर्जा देने की मांग मान ली।
राज्य सरकार के इस मास्टरस्ट्रोक से कर्नाटक में सियासी तूफान आ गया है। बीजेपी ने सिद्धारमैया पर वोटबैंक के लिए समाज को बांटने की राजनीति करने का आरोप लगाया है। उधर, मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने अलग धर्म की मांग को 147 साल पुराना बताया है। इस बीच राज्य में बीजेपी के सीएम पद के उम्मीदवार बीएस येदियुरप्पा ने एक बयान जारी कर कहा है कि उनकी पार्टी अखिल भारतीय वीरशैव महासभा के फैसले के साथ खड़ी है।
कर्नाटक की सिद्धारमैया सरकार ने सोमवार को चुनाव से ठीक पहले नागमोहन दास समिति की सिफारिशें मान लीं। इससे पहले लंबे समय से अलग धर्म की मांग कर रहे राज्य के लिंगायत समुदाय के धर्मगुरुओं ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया से मुलाकात की थी। उन्होंने एक बार फिर अपनी मांगें सीएम के सामने रखी थीं। अलग धर्म के अलावा समुदाय ने लिंगायतों को अल्पसंख्यकों का दर्जा देने की भी मांग की थी। राज्य सरकार के फैसले के बाद लिंगायत समुदाय के लोगों ने पटाखे फोड़कर इसका जश्न भी मनाया था।
बता दें, कर्नाटक में चुनाव के मद्देनजर इस फैसले को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। राज्य में लिंगायत समुदाय के लोगों की संख्या करीब 18 प्रतिशत है। इसके अलावा बीजेपी के मुख्यमंत्री पद के दावेदार बीएस येदियुरप्पा भी इसी समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। ऐसे में यह खेमा बीजेपी के पक्ष में था, लेकिन कांग्रेस सरकार के इस कदम के बाद बीजेपी के लिए राज्य में बड़ी मुश्किल खड़ी हो सकती है। येदियुरप्पा ने भी इसी को देखते हुए अलग धर्म के फैसले का समर्थन किया है।
रिपोर्ट के मुताबिक येदियुरप्पा ने एक बयान जारी कर कहा, अब राज्य सरकार इस सुझाव के साथ आई है। अखिल भारतीय वीरशैव महासभा को तत्काल एक बैठक बुलानी चाहिए और इसमें समिति की सिफारिशों के पक्ष और विपक्ष पर विचार-विमर्श करना चाहिए जो समाज के लिए एक मार्गदर्शक बनें। यह मेरी अपील है।
बता दें, अखिल भारत वीरशैव महासभा के नेतृत्व में एक धड़ा लिंगायत को अलग धर्म का दर्जा दिए जाने की मांग कर रहा है। उसका कहना है कि वीरशैव और लिंगायत एक ही हैं। इसके विपरीत अन्य लोगों का मानना है कि लिंगायत को ही अलग धर्म का दर्जा दिया जाए क्योंकि ऐसा माना जाता है कि वीरशैव शिव के सात पंथों में से एक है जो हिंदू धर्म का हिस्सा है। येदियुरप्पा जहां महासभा के फैसले के साथ खड़े हैं वहीं बीजेपी सिद्धारमैया पर हमलावर हो गई है।
बीजेपी ने इस फैसले की निंदा करते हुए कहा है कि कर्नाटक सरकार धर्म को आधार बनाकर चुनावों में उतरना चाहती है। बीजेपी प्रवक्ता मालविका ने आरोप लगाया है कि सिद्धारमैया लंबे समय से लिंगायतों को हिंदू धर्म से अलग करना चाहते थे। इस मुद्दे पर फैसला संसद में लिया जाएगा, सिद्धारमैया यह फैसला नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि कर्नाटक सरकार के इस फैसले से उसकी मंशा का पता चलता है।
बीजेपी के इस आरोप पर अब सिद्धारमैया ने ट्वीट कर जवाब दिया है। उन्होंने कहा, लिंगायत को अलग धर्म का दर्जा देने की मांग पुरानी है। सरकार ने जो किया वह केवल तथ्यों को मान्यता देना है जिसका उल्लेख 1871 की मैसूर जनगणना में भी है। बीजेपी में जो लोग हमारे ऊपर धर्म को बांटने का आरोप लगा रहे हैं, अच्छा होगा कि वे लिंगायत समुदाय की बातों को सुनें।

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