टीबी को लेकर सख्त हुई सरकार, मरीज की जानकारी छुपाई तो डॉक्टर को जाना होगा जेल

नई दिल्ली। ट्यूबरक्लोसिस (टीबी) को लेकर मोदी सरकार ने सख्त रुख अपनाया है।अब मरीज की जानकारी छुपाना डॉक्टर और अस्पताल प्रबंधन से लेकर दवा दुकानदारों तक को मंहगा पड़ा सकता है।दोषी पाए जाने पर जेल जाने की नौबत भी आ सकती है।
रिपोर्ट के मुताबिक केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने अधिसूचना जारी करते हुए कहा है कि अगर डॉक्टरों के द्वारा टीबी मरीज की जानकारी नोडल अधिकारी या स्थानीय स्वास्थ्य कार्यकर्ता के साथ साझा नहीं की जा सकती हो तो संबंधित डॉक्टर, अस्पताल प्रबंधन और दवा दुकानदार पर कार्रवाई होगी। उन्हें आईपीसी की धारा 269 और 270 के तहत छह माह से लेकर दो साल तक की सजा और जुर्माना भुगतना पड़ सकता है,
2012 में ही टीबी को सूचनात्मक रोग घोषित किया गया था।
वर्ष 2012 में ही टीबी को सूचनात्मक रोग घोषित किया गया था।इसके तहत टीबी के मरीज की सूचना नोडल अधिकारी और स्थानीय स्वास्थ्य कार्यकर्ता के साथ साझा करना जरूरी है। हालांकि अभी तक इस मामले में दोषियों के खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई या सजा का प्रवाधान नहीं था।
मंत्रालय ने बदला रिपोर्टिंग का प्रारूप
मंत्रालय ने प्रयोगशाला और अस्पताल में प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टरों को, अस्पताल, क्लिनिक और नर्सिंग होम प्रबंधन को रिपोर्टिंग करने के लिए एक अलग प्रारूप जारी किया है। इसके तहत अब टीबी मरीज की पूरी जानकारी साझा करनी पड़ेगी। नए प्रारूप के तहत अब टीबी मरीज का नाम और पता, उन्हें दी जाने वाली चिकित्सीय सुविधा, नोडल अधिकारी और स्थानीय स्वास्थ्य कार्यकर्ता को दी गई जानकारी की सूचना और जिला स्वास्थ्य अधिकारी या सीएमओ का नाम तक की जानकारी देनी होगी।
क्या कहती है रिपोर्ट?
आपको बता दें कि दुनियाभर में बीमारियों से मौत के 10 शीर्ष कारणों में टीबी को प्रमुख बताया गया है। एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में प्रतिवर्ष टीबी से मरने वाले मरीजों की संख्यां 4 लाख 80 हजार है।इसके अलावा साल में तकरीबन 10 लाख से अधिक मरीजों की जानकारी सरकार के पास नहीं होती है।
भारत 2025 तो होगी टीबी फ्री : पीएम मोदी
पिछले वर्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि भारत 2025 तक टीबी की बीमारी से मुक्त हो जाएगा। साथ ही उन्होंने कहा था कि दुनिया की तुलना में हमारे यहां टीबी के मरीजों की संख्या बहुत है। टीबी से अगर मुक्ति पानी है तो सही उपचार और पूर्ण उपचार चाहिये।सही उपचार हो और पूरा उपचार हो। बीच में छोड़ दिया तो वो नई मुसीबत पैदा कर देता है। यह ऐसी बीमारी है कि जिसकी जल्द जांच की जा सकती है।
पीएम मोदी ने कहा था कि इस दिशा में बहुत काम हो रहा है। तेरह हजार पांच सौ से अधिक माइक्रोस्कोपी केंद्र हैं। चार लाख से अधिक डॉट प्रदाता हैं। अनेक आधुनिक प्रयोगशालाएं हैं और सारी सेवाएं मुफ्त में हैं। आप एक बार जांच करा लीजिए। ये बीमारी जा सकती है। बस सही उपचार हो और बीमारी नष्ट होने तक उपचार जारी रहे।

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