गोरखपुर और फूलपुर में हार के बाद बीजेपी में उठने लगे हैं विरोध के सुर

उत्तर-प्रदेश के बहराइच से बीजेपी सांसद सावित्री बाई फुले सेंट्रल सरकार के खिलाफ ही मुखर हो गई हैं। उन्होंने गवर्नमेंट की एससी/एसटी नीतियों के खिलाफ एक अप्रैल को लखनऊ में रैली करने की घोषणा की है।
नई दिल्ली। गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में बीजेपी की हार पर पार्टी के ही वरिष्ठ नेता रमाकांत यादव का आरोप था कि पार्टी का पिछड़े और दलितों पर ध्यान नहीं है। उन्होंने कहा था, पिछड़े और दलितों की जिस तरह से उपेक्षा की जा रही है, उसका परिणाम आज ही सामने आ गया।  मैंने आज भी अपने दल को कहना चाहता हूं, अगर आप दलितों, पिछड़ों को साथ लेकर चलेंगे तो 2019 में संतोष जनक स्थिति बन सकती हैं। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की सांसद सावित्री बाई फूले अपनी ही पार्टी की सरकार से नाराज चल रही हैं। रिपोर्ट के मुताबिक बहराइच से सांसद सावित्री बाई फूले ने आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार की अनुसूचित जाति और जनजाति (एससी/एसटी) समाज के प्रति उदासीन है। मौजूदा सरकार की नीतियां एससी/एसटी के खिलाफ है। इसके प्रति अपना विरोध जताने के लिए सावित्री बाई फूले एक अप्रैल को लखनऊ में विरोध प्रदर्शन करेंगी। इससे पहले बुधवार को गोरखपुर और फूलपुर में बीजेपी कई नेता और कार्यकर्ता टीवी चैनलों पर कहते देखे गए थे कि सत्ता में आने के बाद पार्टी उनकी बातों को तवज्जो नहीं दे रही है।  इस बात से कार्यकर्ता नाराज हैं।  खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या कह चुके हैं कि अतिआत्म विश्वास की वजह से पार्टी को हार का मुंह देखना पड़ा है। पार्टी कार्यकर्ताओं में जोश और उत्साह भरने के लिए फिर तैयारी की जाएगी। बीजेपी के खिलाफ चुनावी लड़ाई में उतरने के लिए कभी एक-दूसरे के कट्टर विरोधी रही समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के बीच गठजोड़ हो चुका है।  फूलपुर और गोरखपुर सीट पर हुए उपचुनाव में इन दोनों पार्टियों की दोस्ती के चलते बीजेपी प्रत्याशी को करारी हार मिली थी। 2019 के लोकसभा चुनाव को देखते हुए बीजेपी इस गठबंधन को बनने नहीं देना चाहती है।

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