चीन को काउंटर करने के लिए भारत से नेपाल के लिए बनेगी रेल लाइन

नई दिल्ली। भारत और पड़ोसी देश नेपाल के बीच अपने रणनीतिक संबंधों को मजबूती देने के लिए रेल नेटवर्क और जलमार्ग स्थापित करने पर सहमति बनी है। रेल नेटवर्क के जरिए भारत का इरादा नेपाल में चीन के लगातार बढ़ते दखल की भी काट करना है। नेपाल के पीएम केपी ओली और भारत के पीएम नरेंद्र मोदी के बीच हुई बातचीत के बाद इन फैसलों का ऐलान किया गया। इसके तहत थोक में माल की आवाजाही के लिए भारत बिहार के रक्सौल से नेपाल की राजधानी काठमांडू के बीच रणनीतिक रेल संपर्क का निर्माण करेगा। ओली तीन दिवसीय दौरे पर भारत आए हुए हैं। शनिवार को दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों की बीच हुई मीटिंग में नई विद्युतीकृत रेल लाइन बनाने पर सहमति बनी है।
भारत के सीमांत शहर से नेपाल को जोडऩे वाली इस रेल लाइन का खर्च भारत वहन करेगा। भारत करेगा। बयान में कहा गया कि इसका मकसद दोनों पड़ोसी देशों के बीच संपर्क का विस्तार करना, लोगों के बीच संपर्क को बढ़ावा देना और आर्थिक वृद्धि एवं विकास को तेज करना है। दोनों प्रधानमंत्रियों ने भारत-नेपाल सीमा पार रेल परियोजनाओं के पहले चरण के क्रियान्वयन पर संतोष जाहिर किया। इस साल के अंत तक जयनगर से जनकपुर/कुर्था तथा जोगबनी से विराटनगर कस्टम यार्ड के बीच रेल लाइन 2018 में तैयार हो जाएगी। जयनगर – विजलपुरा-वर्दीवास और जोगबनी-विराटनगर परियोजनाओं के शेष हिस्से पर काम आगे बढ़ाया जाएगा।
रक्सौल से काठमांडू को जोडऩे वाली रणनीतिक रेल लाइन का प्रस्ताव इस संबंध में भी अहम है क्योंकि इससे पहले चीन द्वारा तिब्बत से होकर नेपाल तक रेल रूट विकसित करने का ऐलान किया जा चुका है। हाल ही में चीन ने नेपाल को जोडऩे वाले तीन राजमार्गों पर भी काम शुरू किया है, जो 2020 तक पूरे हो जाएंगे। इसके अलावा न्यू जलपाईगुड़ी -काकरभिट्टा, नौतनवां- भैरहवा और नेपालगंज रोड-नेपालगंज रेल परियोजनाओं पर भी विचार चल रहा है।

Related posts

Leave a Comment