यंगून। सांप्रदायिक हिंसा का शिकार होने के बाद बांग्लादेश और भारत समेत कई देशों में शरण के लिए भटक रहे रोहिंग्या शरणार्थियों को म्यांमार वापस लेने के लिए तैयार नहीं है। इसी साल म्यांमार का दौरा करने वाले संयुक्त राष्ट्र संघ के एक सीनियर अधिकारी ने यह बात कही है। संयुक्त राष्ट्र के अनुमानों के मुताबिक बौद्ध कट्टरपंथियों के हमलों के चलते करीब 7 लाख रोहिंग्या मुस्लिमों को बांग्लादेश में शरण लेनी पड़ी है।
म्यांमार के अपने 6 दिन के दौरे के बाद संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार मामलों के असिस्टेंट सेक्रटरी जनरल उर्सुला मुएलर ने कहा, मैं जो देखा और लोगों से सुना, उसके मुताबिक हेल्थ सेवाओं की कमी है, विस्थापन जारी है और अब भी उन्हें वापस लिए जाने को लेकर कोई सहमति नहीं है। बता दें कि बीते साल नवंबर में बांग्लादेश के साथ हुए करार में म्यांमार सरकार ने शरणार्थियों को सुरक्षित और सम्मानजनक तरीके से वापस लेने पर सहमति जताई थी।
म्यांमार ने अब तक सैकड़ों रोहिंग्या मुस्लिम शरणार्थियों की पहचान की है, जिन्हें संभवत: वापस लिया जा सकता है। म्यांमार के एक अधिकारी ने बीते महीने कहा था कि यह ग्रुप म्यामांर में वापसी करने वाला शरणार्थियों का पहला जत्था होगा, सही वक्त पर इन्हें वापस बुलाया जाएगा। मुएलर को म्यांमार में सीमित जगहों पर ही जाने की अनुमति दी गई। इस दौरान वह हिंसा से सबसे ज्यादा प्रभावित रखाइन सूबे में गए और रक्षा मंत्री से मुलाकात की। इसके अलावा म्यांमार की सर्वोच्च लीडर आंग सान सू ची से भी मीटिंग की।