नई दिल्ली। देश भर में सोशल मीडिया पर अफवाह के तौर पर तैर रहे सोमवार को भारत बंद के आह्वान का असर अब सड़कों पर भी दिख रहा है। हालांकि पूरे देश में इसका कोई खास असर नहीं है, लेकिन बिहार के कई जिलों से भारत बंद के दौरान प्रदर्शन और आगजनी की खबरें हैं। आरा में राजगीर से दिल्ली जा रही श्रमजीवी एक्सप्रेस को प्रदर्शनकारियों ने रोक दिया। इसके अलावा कई अन्य जगहों से भी ट्रेनों को रोके जाने की खबरें हैं।
टीवी रिपोर्ट्स के मुताबिक आरा में आरक्षण समर्थक और विरोधियों के बीच भिड़ंत भी हुई है और फायरिंग की खबर भी आ रही है। 6 से 7 पुलिसकर्मियों के घायल होने की भी खबर है। इसके अलावा आरा-बक्सर रोड पर भी प्रदर्शनकारी डटे हुए हैं और वाहनों की आवाजाही ठप है। हिंसा के बाद आरा में धारा 144 लागू कर दी गई है।
आरक्षण विरोधी भारत बंद कहे जा रहे इस प्रदर्शन में शामिल कुछ युवकों के समूह ने बिहार के भोजपुर में रोड जाम कर दिया और कई स्थानों से आगजनी की भी खबरें हैं। इसके अलावा कैमूर जिले में नैशनल हाइवे 219 पर भी प्रदर्शनकारी युवकों ने आरक्षण विरोधी नारेबाजी करते हुए राजमार्ग जाम कर दिया। मुजफ्फरपुर में पटना हाइवे को जाम करने की खबर है।
यूपी, मध्य प्रदेश और राजस्थान के कुछ शहरों में शांतिपूर्ण प्रदर्शन की खबरें हैं, लेकिन कहीं भी भारत बंद का कोई खास असर नहीं दिखा है। हालांकि मथुरा में बाजार बंद हैं, जबकि मेरठ, मुजफ्फरनगर और सहारनपुर में बंद का विशेष असर नहीं दिखा है।
मध्य प्रदेश के भिंड, मुरैना और ग्वालियार में मोबाइल इंटरनेट को एहतियातन बंद किया गया है। भिंड और मुरैना में कर्फ्यू के चलते बाजार बंद हैं। मध्य प्रदेश के भोपाल, राजस्थान के जयपुर और भरतपुर और उत्तराखंड के नैनीताल में धारा 144 लागू की गई है।
गौरतलब है कि एससी-एसटी ऐक्ट को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में दलित संगठनों ने 2 अप्रैल को भारत बंद बुलाया था। इस प्रदर्शन के दौरान कई जगहों से हिंसा की भी खबरें आई थीं। इस आंदोलन के बाद सोशल मीडिया पर 10 अप्रैल को सवर्णों की ओर से जातिगत आरक्षण के विरोध में भारत बंद की बात कही जा रही थी। इन अफवाहों के चलते ही गृह मंत्रालय ने राज्यों को अडवाइजरी जारी कर भारत बंद के आह्वान को ध्यान में रखते हुए प्रशासन को मुस्तैद रखने को कहा था।
बता दें कि कथित आरक्षण विरोधी भारत बंद का आह्वान सोशल मीडिया पर 2 अप्रैल के दलित संगठनों के आंदोलन के बाद से ही किया जा रहा था। इस संगठन के पीछे कोई संगठन या चेहरा नहीं है, लेकिन सोशल मीडिया से उपजा यह भारत बंद प्रशासन के लिए एक चुनौती बन सकता है। यह भारत बंद आधिकारिक तौर पर किसी संगठन ने नहीं बुलाया है। शायद यह पहला मौका है, जब सोशल मीडिया से शुरू हुए किसी आंदोलन के आह्वान से प्रशासन चिंतित नजर आ रहा है।