लखनऊ। उन्नाव गैंगरेप मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट से मिली फटकार के बाद केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने अपनी कार्रवाई और तेज कर दी है। प्रारंभिक जांच में सीबीआई को गैंगरेप के आरोपी बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर और उनके भाई के खिलाफ पर्याप्त सबूत मिले हैं। सीबीआई ने सेंगर के दो फोन भी अपने कब्जे में ले लिया है।
जांच एजेंसी अब पीडि़त युवती का फिर से मेडिकल करवाएगी।इससे पहले उन्नाव मामले में गुरुवार देर रात सीबीआई, लखनऊ की एसीबी ब्रांच ने तीन अलग-अलग एफआईआर दर्ज कीं। इसके बाद जांच एजेंसी ने आरोपी कुलदीप सिंह सेंगर को हिरासत में लेकर कई घंटे तक पूछताछ की और फिर शुक्रवार रात 9:30 बजे उन्हें गिरफ्तार कर लिया। सूत्रों के मुताबिक उन्नाव में सीबीआई को प्रारंभिक जांच में ही विधायक, उनके भाई और साथियों के खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य मिले हैं।
सीबीआई ने सेंगर के दोनों मोबाइल फोन अपने कब्जे में ले लिए हैं। जांच टीम फोन के जरिए पड़ताल की कोशिश करेगी कि 3 अप्रैल से शुक्रवार तड़के तक विधायक ने किन-किन लोगों से बात और चैट की। सीबीआई गैंगरेप की पीडि़ता का फिर से मेडिकल करवाएगी। इससे पहले, सीबीआई की टीम शुक्रवार सुबह करीब सवा चार बजे सेंगर के इंदिरा नगर सी ब्लॉक स्थित घर पहुंची। यहां से सेंगर को नवल किशोर रोड स्थित सीबीआई दफ्तर लाया गया। यहां विधायक से कई घंटे तक पूछताछ की गई। इस दौरान सेंगर खुद को निर्दोष बताते रहे।
बता दें, उन्नाव रेप मामले में हाई कोर्ट की कड़ी फटकार के बाद सीबीआई ने सेंगर को शुक्रवार रात गिरफ्तार कर लिया। इससे पहले, सुबह हाई कोर्ट ने विधायक को सिर्फ हिरासत में लेने पर नाराजगी जताते हुए सीबीआई को सेंगर व अन्य आरोपितों को तुरंत गिरफ्तार करने, अपहरण और गैंगरेप के मामले में पुलिस चार्जशीट के बावजूद नए सिरे से विवेचना करने का निर्देश दे दिया।
कोर्ट ने सीबीआई को पीडि़ता के पिता की हत्या के मामले की भी तय समय सीमा में जांच पूरी करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा कि जरूरी हो तो जमानत पर रिहा आरोपितों की जमानत निरस्त करवाएं। सीबीआई को दो मई को प्रगति रिपोर्ट पेश करनी है। कोर्ट ने कहा कि यदि पीडि़ता की फरियाद सुनी गई होती और विधायक के दबाव में पुलिस कानून की अनदेखी न करती तो पीडि़ता के पिता की दुर्भाग्यपूर्ण मौत न होती। सबकुछ होने के बाद 12 अप्रैल को रिपोर्ट दर्ज हुई। हालांकि, गिरफ्तारी इसके बाद भी नहीं हुई।
पीडि़ता के पिता की मौत के मामले में उन्नाव जिला अस्पताल के सीएमएस डॉ. डीके द्विवेदी और आकस्मिक चिकित्सा अधिकारी डॉ. प्रशांत उपाध्याय को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया गया है। प्रमुख सचिव प्रशांत त्रिवेदी ने शुक्रवार को बताया कि उन्नाव के सीएमओ की शुरुआती जांच में दोषी पाए जाने के बाद यह कार्रवाई की गई है। इनके अलावा तीन अन्य डॉक्टर वरिष्ठ परामर्शदाता डॉ. जीपी सचान, डॉ. मनोज कुमार, डॉ. गौरव अग्रवाल भी प्रथमदृष्टया दोषी मिले हैं।
इनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई के आदेश दिए गए हैं। निदेशक (प्रशासन) चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं को जांच अधिकारी नामित किया गया है। इससे पहले हाई कोर्ट ने कहा था कि एसआईटी रिपोर्ट के बाद डॉक्टर, सीओ और पुलिसकर्मियों को निलम्बित कर दिया गया, लेकिन मुख्य आरोपित को साक्ष्यों से छेड़छाड़ करने के लिए खुला छोड़ दिया गया।