आरबीआई का कहना है कि नोटबंदी के 4 दिन पहले 17.74 लाख करोड़ रुपए नोट चलन में थे। अभी कुल 18.04 लाख करोड़ रुपए के नोट चलन में हैं। 200 रुपये के नये नोट चलन में आने से एटीएम में उसको डालने में आ रही परेशानी भी कैश किल्लत का एक कारण हो सकता है।
नई दिल्ली। देश के कई इलाकों में एटीएम में कैश की किल्लत को देखते हुए वित्त मंत्रालय ने आरबीआई से स्थिति की समीक्षा करने और जल्द इसका समाधान निकालने को कहा है। हालांकि आरबीआई का कहना है कि एटीएम में कैश भरने के लिए बैंकों को पर्याप्त कैश उपलब्ध कराया जा रहा है। वित्त मंत्रालय के एक उच्चाधिकारी के अनुसार जिन राज्यों में एटीएम में कैश की किल्लत की खबरें सामने आ रही हैं, उनमें छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों में किल्लत ज्यादा है। आरबीआई के जरिए बैंकों से कहा गया है कि वह इन शहरों में एटीएम में तेजी से कैश डालने और जो एटीएम खराब है, उनको दुरुस्त करने की रफ्तार तेज करें। उम्मीद है कि एटीएम में कैश की किल्लत की समस्या का समाधान जल्द हो जाएगा।
सूत्रों के अनुसार कई राज्यों में एटीएम में कैश की किल्लत को लेकर कई कारण सामने आ रहे हैं। सरकार ने फाइनैंशल रेजॉलूशन ऐंड डिपॉजिट इंश्योरेंस (एफआरडीआई) बिल लाने की लाने की बात की थी। हालांकि इस बिल को वापस ले ले लिया गया। इस बिल में इस बात का प्रावधान है कि अगर कोई बैंक किसी कारणवश वित्तीय संकट में फंस जाता है तो जमाकर्ताओं के पैसे से उसका पुनरुद्धार किया जाएगा।
बिल के अनुसार जमाकर्ताओं की 1 लाख रुपये तक जमाराशि को छेड़ा नहीं जाएगा, बाकी राशि का इस्तेमाल बैंक के पुनरुद्धार में किया जाएगा। इससे लोगों में घबराहट फैल गई थी। तब भी लोगों ने एटीएम से ज्यादा कैश निकालना शुरु कर दिया। अब पीएनबी घोटाला सामने आने के बाद लोगों को लग रहा है कि कई बैंक वित्तीय संकट में फंस सकते हैं। ऐसे में वे पहले की तुलना में एटीएम में ज्यादा निकाल रहे हैं और इससे एटीएम जल्द खाली हो रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार वित्त मंत्रालय ने आरबीआई को 2000 रुपये के नोट प्रिटिंग कम करने और छोटे नोटों की प्रिटिंग बढ़ाने को कह रखा है। इसके साथ एटीएम में भी 2000 रुपये के नोट की बजाय छोटे नोट ज्यादा डालने के लिए आरबीई को कहा गया है। ऐसे में एटीएम में डाले गये करंसी नोट की कुल वैल्यू कम हो रही है। इससे एटीएम जल्द खाली हो रहे हैं। इसके अलावा वित्त मंत्रालय ने अपनी स्टडी में पाया है कि बैंकों के कुल एटीएम में 15 फीसदी एटीएम खराब हैं। बड़े शहरों में तो खराब एटीएम को जल्द ठीक कर दिया जाता है, मगर छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों में इसको ठीक करने में समय लगता है।
सरकार अब डिजिटल इंडिया को प्रमोट कर रही है। इसके चलते बैंकों, विशेष रूप से सरकारी बैंकों ने नए एटीएम लगाने की संख्या में 30 से 40 फीसदी की कमी की है। एक सरकारी बैंक के उच्चाधिकारी का कहना है कि नए एटीएम को लेकर पॉलिसी सख्त हो गई है। लोगों को ऑनलाइन और कार्ड से पेमेंट करने के लिए प्रमोट किया जा रहा है। ऐसे में नए एटीएम लगाने की रफ्तार को धीमा कर दिया गया है। इसका नेगेटिव असर एटीएम में कैश किल्लत के रूप में सामने आ रहा है।