अब आपके फेसबुक की प्रिवेसी पर नजर रखेगा यूरोपियन यूनियन

कैलिफोर्निया। अगले महीने से आपके फेसबुक अकाउंट पर नजऱ रखने वाली संस्था में बदलाव होने वाला है। अब आयरलैंड की टर्म्स ऑफ सर्विसेज की जगह यह काम यूरोपियन यूनियन की संस्था जनरल डेटा प्रोटेक्शन रेगुलेशन (जीडीपीआर) करेगी। फेसबुक ने दावा किया है कि सभी यूजर्स के प्रिवेसी , कंट्रोल और सेटिंग का ध्यान रखा जाता है। इस बदलाव के बाद अब कोई यूजर इरिश डेटा प्रोटेक्शन कमिश्नर को अपनी शिकायत नहीं भेज पाएगा बल्कि इसके लिए अब लेनियन्ट यूएस के कानून लागू होंगे।भारत में अभी डेटा सुरक्षा कानून लागू नहीं हो पाया है। पिछले साल सरकार ने वाइट पेपर जारी करके इस कानून पर टिप्पणियां मंगाई थीं। जस्टिस बीएन श्रीकृष्णा की अगुवाई में एक कमिटी इस मामले पर काम कर रही है। रिपोर्ट के मुताबिक अगले महीने से फेसबुक की योजना है कि अफ्रीका, एशिया, ऑस्ट्रेलिया और लैटिन अमेरिका में रहने वाले 150 करोड़ यूरोपियन यूजर जीडीपीआर के अंतरगत नहीं आएंगे। उनके अकाउंट की जिम्मेदारी पहले की ही तरह आयरलैंड के कानून के तहत ही होगी।फेसबुक का कहना है कि इस बदलाव का मतलब यह नहीं है कि कोई अलग से कानून लागू किए जाएंगे। फेसबुक के डेप्युटी चीफ ग्लोबल प्रिवेसी ऑफिसर सटीफन डेडमैन ने बताया कि इन बदलावों के बाद भी यूजर्स को उसी तरह की प्रिवेसी मिलेगी। इसमें कोई बदलाव नहीं होने वाला है।सूत्रों ने बताया कि इन बदलावों के बाद भी यूजर्स को उसी तरह की प्रिवेसी मिलेगी। इसमें कोई बदलाव नहीं होने वाला है।सूत्रों ने आयरलैंड के एक अधिकारी का हवाला देते हुए बताया कि उन्हें भी इस बात की जानकारी नहीं थी कि फेसबुक यह बड़ी जिम्मेदारी अब यूरोपियन यूनियन को मिलने वाली है। यह बदलाव तब किया जा रहा है जब कुछ दिन ही पहले फेसबुक के मालिक मार्क जकरबर्ग को यूएस कांग्रेस के सामने पेश होकर सवालों के जवाब देने पड़े थे। दरअसल कैंब्रिज ऐनालिटिका के एक विसलब्लोअर ने दावा किया था कि फेसबुक लोगों की व्यक्तिगत जानकारी का उपयोग करके उनके राजनीतिक संदेशों को नियंत्रित करता है।

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