नई दिल्ली। कश्मीर घाटी में कट्टरपंथ की तरफ जाते युवाओं को रोकने के लिए भारतीय सेना ने मिलकर काम करने की रणनीति बनाई है। आर्मी कमांडर्स कॉन्फ्रेंस में इस बारे में व्यापक चर्चा हुई कि किस तरह युवाओं को सही रास्ते पर लाया जा सकता है? दरअसल, सेना के सामने आतंकवाद से लडऩे के अलावा यह भी बड़ी चुनौती है कि युवाओं को कट्टरपंथ की तरफ जाने से कैसे रोके जाएं? सेना का मानना है कि इसके लिए सिविल सोसाइटी और नेताओं को मिलकर काम करना होगा।सेना के एक अधिकारी ने कहा कि अप्रैल से अक्टूबर तक का वक्त घाटी के लिए अहम है। अभी वहां पर्यटन होता है, अमरनाथ यात्रा होती है साथ ही सेब की सप्लाइ भी शुरू होती है। अक्टूबर में स्कूलों में एग्जाम होते हैं तो यही वर्किंग, स्कूलिंग और अर्निंग सीजन भी है। ऐसे में अभी सबको मिलकर युवाओं के बीच कैंपेन चलाना चाहिए। सेना ने युवाओं को कट्टरपंथ की तरफ जाने से रोकने के साथ ही भटके युवाओं को वापस लाने की मुहिम को अपनी प्रायॉरिटी में शामिल किया है।
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