जुगलबंदी आधुनिक ग़ालिब एवं आधुनिक तानसेन की

लखनऊ: नगर की अग्रणी संस्था ‘प्रतिष्ठा फिल्म्स एंड मीडिया’ के तत्वाधान में सिटी होटल, लालबाग, लखनऊ में एक सम्मान समारोह एवं नशिस्त का आयोजन शनिवार को किया गया। सम्मान समारोह में वरिष्ठ साहित्यकार एवं मशहूर शायर सुहैल काकोरवी को संस्था द्वारा “आधुनिक ग़ालिब” एवं महान् संगीतकार एवं गायक  केवल कुमार को संस्था द्वारा “आधुनिक तानसेन” का खिताब देते हुये उनका सम्मान स्मृति चिन्ह देकर किया। संस्था की ओर से दोनों शिखर पुरुषों को संस्था के निदेशकगण डॉ सत्येन्द्र कुमार सिंह, अमरेश कुमार सिंह एवं तरुण प्रकाश ने माल्यार्पित कर स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया।
प्रतिष्ठा फ़िल्म्स एंड मीडिया के निदेशक तरुण प्रकाश ने कहा कि तानसेन और ग़ालिब इतिहास के दो अलग-अलग कालखंडों की प्रतिभायें थी इसलिए इतिहास में उनका मिलन संभव नहीं हो सका किन्तु वर्तमान युग में केवल कुमार व सुहैल काकोरवी के रूप में आधुनिक तानसेन व आधुनिक ग़ालिब की जुगलबंदी कराने का श्रेय प्रतिष्ठा फ़िल्म्स एंड मीडिया को अवश्य मिलेगा।
प्रतिष्ठा फिल्म्स एंड मीडिया के निदेशकगण डॉ सत्येन्द्र कुमार सिंह एवं  अमरेश कुमार सिंह ने संस्था के मिशन के विषय में बताते हुये कहा कि संस्था अत्यंत कम मूल्य पर हर प्रतिभावान लेखक व कलाकार को डिजिटल तकनीक से अंतर्राष्ट्रीय मंच उपलब्ध कराना चाहती है।
तरुण प्रकाश ने सुहैल काकोरवी के विषय में बताते हुये कहा कि वे हिन्दी, अंग्रेजी, उर्दू एवं फारसी भाषा के सिद्धहस्त साहित्यकार हैं और प्रत्येक भाषा में उनकी पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं। सुहैल काकोरवी ने आम फल पर लगभग 700 शेर कहे जिन्हें वे अपनी पुस्तक “आमनामा” के माध्यम से प्रकाश में लाये और जो विश्व में एक फल मात्र पर कविता शैली में पहली सम्पूर्ण पुस्तक के रुप में “लिम्का बुक आफ रिकार्ड्स” में दर्ज है। इसके पश्चात् उन्होंने “नीला चाँद” के नाम से लगभग साढ़े तीन सौ से अधिक शेर एक ही रदीफ एवं काफिये में कहे और प्रत्येक शेर में दो या तीन मुहावरों का भी अभिनव प्रयोग किया और प्रत्येक शेर का हिन्दी, उर्दू एवं अंग्रेजी में रूपांतरण भी किया। इसके पश्चात् उन्होंने फूलों पर आधारित ग़ज़लों के माध्यम से एक पुस्तक “गुलनामा” लिखी जो प्रकाशन हेतु पंक्तिबद्ध है। सबसे ताज़ा कार्य उन्होंने ग़ालिब की मशहूर 100 ग़ज़लों की ज़मीन, बह्र, रदीफ एवं काफियों पर सौ नई ग़ज़लें कह कर किया और उनका यह मजमुआ हिन्दी में “ग़ालिब : एक उत्तरकथा”, उर्दू में “अर्जिंयात-ए-गा़लिब” और अंग्रेजी में “Remnants of Ghalib” के नाम से एक ही जिल्द में हमारे सामने आया। ग़ालिब की शायरी बाहर से जितनी सरल लगती है, शिल्प और अर्थ में उतनी ही गहन है और उनके कार्य को सुहैल काकोरवी द्वारा इस प्रकार आगे बढ़ाना किसी चमत्कार से कम नहीं है।
तत्पश्चात प्रसिद्ध व्यक्तित्व आलेखक एवं पत्रकार मुकेश चंद्र श्रीवास्तव ने श्री केवल कुमार जी के विषय में बताते हुये कहा कि यश भारती व अनेकों अन्य महत्वपूर्ण पुरस्कारों व सम्मानों से सम्मानित केवल कुमार जी के संगीत निर्देशन में आशा भोंसले, महेन्द्र कपूर, शब्बीर कुमार,उदित नारायण व साधना सरगम जैसे अनेक प्रसिद्ध गायक-गायिकाओं ने गीत गाये हैं तथा उन्होंने अनेक हिन्दी व भोजपुरी फिल्मों में संगीत दिया है। केवल कुमार ने न केवल लोकसंगीत पर महत्वपूर्ण कार्य किया है बल्कि गीत, ग़ज़ल व गीतिनाटिकाओं एवं गीत व संगीत संबंधी आलेखों में भी उनका विशेष योगदान है। उनके सैकड़ों शिष्य -शिष्यायें आज अपनी-अपनीे संगीतशालाओं के माध्यम से दिन-रात संगीत की सेवा कर रहे हैं। मुकेश चंद्र श्रीवास्तव जी ने यह भी बताया कि विश्व में संगीत क्षेत्र में केवल कुमार से अधिक धुनें किसी ने नहीं बनाई और यदि इस दृष्टि से कभी कोई रिकॉर्ड अंकित किया जायेगा तो उसके लिये सबसे उपयुक्त नाम मात्र केवल कुमार जी का ही होगा।
सुहैल काकोरवी ने तत्पश्चात् अपनी पुस्तक “ग़ालिब : एक उत्तरकथा” श्री केवल कुमार को भेंट करते हुये कहा कि अब इस उत्तरकथा की संगीतमय उत्तरकथा आपके हवाले से आगे बढ़ेगी। श्री केवल कुमार जी ने कहा कि वे इसमें शामिल प्रत्येक ग़ज़ल को नये ढंग से संगीतबद्ध करेंगे और प्रयास करेंगे कि इस महत्त्वपूर्ण कार्य का संगीतमय संस्करण शीघ्र ही दुनिया के सामने आये।
कार्यक्रम में युवा गायक व संगीतकार अमिताभ श्रीवास्तव ने भी अपने विचार रखे और प्रतिष्ठा फ़िल्म्स एंड मीडिया द्वारा इस अनुपम जुगलबंदी को एक बड़ी उपलब्धि बताया।
तत्पश्चात उस्ताद शायर संजय मिश्र ‘शौक’, अशर अलिग, जमाल रिज़वी ‘जमाल’, डॉ सत्येन्द्र कुमार सिंह व तरुण प्रकाश ने अपनी रचनाओं का पाठ किया।
कार्यक्रम में मोo तौसीफ सिद्दीकी, मोo अरशद, अब्दुल वली अंसारी, रिज़वान हैदर, राहुल सोनकर, चंदन, अजय, अनुभव, अरुण, कपिल श्रीवास्तव, अभिषेक विश्वकर्मा आदि गणमान्य साहित्य व संगीत प्रेमियों ने भाग लिया एवं कार्यक्रम का कुशल व रसभरा संचालन प्रसिद्ध हास्य व्यंग के कवि व लोकप्रिय मीडिया पर्सनालिटी अखिल आनंद द्वारा किया गया।

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