लंदन। मानव की जितनी ऊर्जा की जरूरत एक साल में होती है, उतनी ऊर्जा सूर्य से महज एक घंटे में मिलती है। यूके स्थित ‘यूनिवर्सिटी ऑफ एक्सेटर’ में भारतीय मूल के वैज्ञानिक गोविंदर सिंह पवार की अगुवाई में किए गए एक नए शोध में सौर ईंधन के लिए आशा की एक किरण जागी है। ‘साइंटिफिक रिपोट्र्स’ नामक जर्नल में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, शोधकर्ताओं की एक टीम ने सूर्य के प्रकाश का इस्तेमाल करके पानी से इसके घटक तत्व हाइड्रोजन और ऑक्सीजन को अलग-अलग करने की एक नई पद्धति विकसित की है। इस हाइड्रोजन का उपयोग ईंधन के रूप में किया जा सकता है, जोकि रोजमर्रा की बिजली खपत के लिए घरों व वाहनों में काम आ सकता है। यूनिवर्सिटी ने एक बयान जारी कर कहा कि इस कृत्रिम प्रकाश संश्लेषण पद्धति से हाइड्रोजन ईंधन पैदा की जा सकती है। इससे न सिर्फ कार्बन उत्सर्जन कम करने में बड़ी मदद मिलेगी बल्कि यह ऊर्जा का भी अनंत स्रोत साबित होगा।
सूर्य की रोशनी से जगमग होंगे घर
