नई दिल्ली। रुपए के लिए अप्रैल का आखिरी महिना बेहद खराब रहा है। इस सप्ताह रुपया 14 महीनों के निचले स्तर पर पहुंच गया और शुक्रवार तक रुपया प्रति डॉलर 66.67 के आंकड़े को छू गया। जहां अप्रैल में रुपया 3 फीसदी तक गिरा, वहीं जानकारों की मानें तो आने वाले महीनों में रुपया प्रति डॉलर 68 के स्तर को छू सकता है। क्रूड की कीमतें डॉलर में तय होती हैं और जानकारों की मानें तो क्रूड की कीमतें बढऩे से रुपए में गिरावट आने की एक वजह है। रुपए में गिरावट का असर जारी रहने से क्रूड, एडिबल ऑयल, फर्टिलाइजर, मेटल, माइनिंग जैसे सेक्टर को नुकसान होगा। डॉलर की कीमतें बढऩे से इनके इंपोर्ट के लिए ज्यादा राशि खर्च करनी पड़ेगी। वहीं जेम्स एंड ज्वैलरी सेक्टर से जुड़ी कंपनियों को नुकसान होगा। इसके अलावा एयरटेल और आइडिया जैसी कम्पनियां जिन पर ज्यादा कर्ज है, डॉलर में बिलों का भुगतान करने के कारण उन्हें भी नुकसान झेलना पड़ेगा। कुछ सेक्टर ऐसे भी हैं जिन्हें फायदा होने की उम्मीद है जैसे ऑटोमोबाइल, आईटी सॉफ्टवेयर, फार्मा सेक्टर। इन सेक्टर से जुड़ी कंपनियों की ज्यादा कमाई एक्सपोर्ट बेस है जिससे साफ है कि डॉलर में मजबूती इनके लिए अच्छी खबर है। इन कम्पनियों में टीसीएस, इंफोसिस, विप्रो जैसी आईटी कंपनियों के अलावा यूएस मार्केट में कारोबार करने वाली कई फार्मा कंपनियों भी शामिल हैं। इसके अलावा ओएनजीसी, रिलायंस इंडस्ट्रीज, ऑयल इंडिया लिमिटेड जैसे गैस प्रोड्यूसर्स को डॉलर में तेजी का फायदा मिलेगा क्योंकि ये कंपनियां डॉलर में फ्यूल बेचती हैं।
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