गोवा। विशाल हिंद महासागर पर अध्ययन करने के लिए 20 अमेरिकी वैज्ञानिकों की एक टीम मुख्य अनुसंधान पोत रोनाल्ड एच ब्राउन के साथ गोवा के समुद्र तट पर पहुंच गई। भारतीय और अमेरिकी वैज्ञानिक सागर और वायमुंडलीय निगरानी के क्षेत्र में सहयोग के एक दशक पूरा होने पर गोवा में मिल रहे हैं। भारत और आसपास के अन्य देशों सहित अमेरिका तक इस महासागर के वायुमंडलीय घटनाक्रम का काफी प्रभाव देखने को मिलता है। यूएस वाणिज्य दूतावास के जनरल एडगार्ड कागन ने इस मौके पर कहा, ‘अमेरिका और भारतीय वैज्ञानिकों के इस सहयोग को देखकर हमें बड़ा गर्व महसूस हो रहा है। यह साथ काम करने की हमारी क्षमता का दर्शाता है। यह दिखाता है कि दोनों देश साथ मिलकर कैसे मुश्किलों का सामना करने के लिए तैयार हैं। भारत के शीर्ष सागर, वायुमंडल और मत्स्य विज्ञान के क्षेत्र में कार्यरत वैज्ञानिकों से अमेरिका के नेशनल ओशनिक एंड एटमोस्फेयरिक एडमिनिस्ट्रेशन (एनओएए) के 20 वैज्ञानिकों की बैठक जल्द ही होगी। इस दौरान वे इस क्षेत्र में सहयोग की स्थिति की समीक्षा करेंगे और आगे की कार्रवाई के बाबत निर्णय करेंगे। एनओएए के सहायक प्रशासक (महासागर और वायुमंडलीय अनुसंधान) और एनओएए के प्रमुख कार्यवाहक वैज्ञानिक क्रेग मैकलीन ने कहा कि पश्चिमी उष्णकटिबंधीय हिंद महासागर में होने वाले मैडेन जूलियन ऑसीलेशन का अमेरिका के मौसम पर सबसे अधिक प्रभाव देखने को मिलता है।
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