उत्तर प्रदेश: नालों के प्रदूषित पानी को गंगा में मिलने से रोकने की कवायद शुरू

लखनऊ। उत्तर प्रदेश स्थित तीर्थराज प्रयाग में साल 2019 में होने वाले कुंभ से पहले नालों के प्रदूषित पानी को गंगा में मिलने से बचाने के लिए गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई की तरफ से कवायद शुरू की गई है। अधिकारियों की माने तो कुंभ मेले के दौरान नालों का प्रदूषित पानी शोधित करने के बाद ही गंगा में डाला जाएगा। अधिकारियों का दावा है कि नालों का प्रदूषित पानी शोधित करने के लिए उसमें ऐसे बैक्टीरिया (एंजाइम) डाले जाएंगे, जो प्रदूषण को अवशोषित कर लेते हैं, जिससे पानी प्रदूषण मुक्त हो जाता है। इस प्रक्रिया को रेमेडिएशन कहा जाता हैं।गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई के महाप्रबंधक आर.के.अग्रवाल के मुताबिक, शासन के आदेश पर नालों के पानी को प्रदूषण मुक्त करने की तैयारियां शुरू कर दी हैं। नालों के प्रदूषित पानी को प्रदूषण मुक्त करने की प्रक्रिया को रेमेडिएशन कहा जाता है।उन्होंने बताया कि नालों में एंजाइम (एक तरह का बैक्टीरिया) डाला जाता है, जिससे पानी में शामिल हानिकारक तत्व खत्म हो जाते हैं।गौरतलब है कि कुंभ मेले के दौरान संगम में शुद्ध पानी उपलब्ध कराने के उद्देश्य से शासन ने आदेश दिए हैं कि 15 मार्च 2019 तक गढ़मुक्तेश्वर से काशी के बीच घरेलू सीवेज और उद्योग से निकलने वाले कचरे को गंगा में जाने से रोके जाने का प्रयास किया जाए।

Related posts