लखनऊ प्रेस क्लब में केवल कुमार द्वारा संकलित पुस्तक “लोक-परम्परा’ (भाग-1)” का परिचय व परिचर्चा कार्यक्रम सम्पन्न

लखनऊ -01 जुलाई, 2018: लखनऊ प्रेस क्लब में आज ‘लोक संस्कृति शोध संस्थान’ एवं नगर की अग्रणी संस्था ‘प्रतिष्ठा फिल्म्स एंड मीडिया’ के संयुक्त तत्वाधान में सुप्रसिद्ध एवं यश भारती आदि सम्मानों से विभूषित केवल कुमार द्वारा संकलित पुस्तक “लोक-परम्परा’ (भाग-1)” का परिचय व परिचर्चा कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।
अवधी लोकगीतों को जन्म संस्कार, विवाह संस्कार, ॠतु एवं पर्व गीत, जाति व श्रम गीत एवं विविध गीतों को पाँच खण्डों में संकलित किये जाने वाली इस वृहद योजना की मुख्य विशेषता यह है कि प्रत्येक गीत के साथ उसकी मूल सांगीतिक स्वरलिपि का अंकन भी किया गया है ताकि आगामी पीढ़ी के लिये गीत के शब्दों के साथ गीत की मूल सांगीतिक स्वरलिपि को भी सहेजा जा सके।
अवधी लोक परम्परा के लोकगीतों की इस श्रृंखला को पुस्तक रूप में मुद्रित एवं प्रकाशित करने का कार्य ‘प्रतिष्ठा फिल्म्स एंड मीडिया’ द्वारा किया जा रहा है तथा पाँच ग्रंथों में श्रृंखला का प्रथम भाग प्रकाशित किया गया।
परिचर्चा सत्र में श्रीमती शीला पाण्डेय,डॉ राम बहादुर मिसिर, डॉ  विद्या विन्दु सिंह एवं वरिष्ठ साहित्यकार डॉ योगेश प्रवीन ने पुस्तक के कथ्य पर अपने विचार प्रस्तुत किये।
श्रीमती शीला पाण्डेय ने कहा कि ‘लोक’ शब्द के वृहद अर्थ हैं और लोकगीत प्रायः मौखिक रूप से समाज में जीवित रहते हैं जो वार्तारूप में एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को हस्तगत होते हैं।
डॉ राम बहादुर मिसिर ने कहा कि लोकगीतों का संकलन न केवल आवश्यक  ही है वरन दुरूह कार्य भी है क्योंकि भोला भाला ग्रामीण समाज जहाँ लोकगीत अपने मूल रूप में आज भी उपस्थित हैं, ऐसे हर साक्षात प्रयास के प्रति संशकित रहते हैं और कभी कभी भ्रमपूर्ण स्थिति उत्पन्न होने पर हिंसक रूप भी धारण कर लेते हैं। इस कार्य को केवल विश्वास उत्पन्न कर ही किया जा सकता है।
प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ विद्या बिंदु सिंह जी ने कहा कि अवधी जन्म संस्कार के लोकगीतों का यह संकलन इसलिये और भी विशिष्ट हो जाता है क्योंकि आज बहुत ही कम गायक गायिकायें इन गीतों को इनकी मूल धुन में गाते हैं और मूल धुनों की स्वरलिपि उन्हें इन गीतों की मौलिकता को बनाये रखने में सहयोग करेगी।
वरिष्ठ साहित्यकार व कार्यक्रम के अध्यक्ष डॉ योगेश प्रवीण ने  पुस्तक की उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुयै कई ऐतिहासिक तथ्यों का संदर्भ दिया।
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि व उ० प्र० संगीत नाटक अकादमी की सभापति डॉ पूर्णिमा वर्मा  ने भी केवल कुमार जी के इस कार्य की भूरि भूरि सराहना की।
प्रतिष्ठा फिल्म्स एंड मीडिया के प्रवक्ता तरुण प्रकाश ने अपनी संस्था की योजनाओं की चर्चा करते हुये कहा कि यह तो नहीं पता कि आज का मीडिया इस पुस्तक के सृजन को “ब्रेकिंग न्यूज़”  मानता है या नहीं किन्तु इसमें कोई संदेह नहीं है कि लोकसाहित्य के संसार में यह घटना “हिस्ट्री मेकिंग न्यूज़” अवश्य है।
अंत में पुस्तक के रचनाकार केवल कुमार ने बताया कि उन्हें इस पुस्तक की रचना की प्रेरणा उनके गु्रू आचार्य राधा वल्लभ चतुर्वेदी से मिली थी और उनका उद्देश्य है कि यह पुस्तक एवं आगामी चार अन्य खंड अवधी लोकसंगीत के आधार के रूप में जाने जायें।
कार्यक्रम में प्रो० कमला श्रीवास्तव ,प्रसिद्ध गायिका पद्मा गिडवानी ,लोकप्रिय गायिका शिखा भदौरिया, मशहूर साहित्यकार श्री सुहैल काकोरवी , आर०एल०ई० मूवमेंट के एम०डी० व मोटीवेशनल ट्रेनर संजय अग्रवाल, प्रसिद्ध फिल्मकर्मी अखिल आनंद, अरुण दबंग, प्रसिद्ध गायक अविनाश चन्द्रा, नगर के प्रसिद्ध अधिवक्ता संजीव बहादुर जी तथा नगर के अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
आई०सी०एन० न्यूज़ ग्रुप के असिस्टेंट एडिटर अमरेश कुमार सिंह ने भी कार्यक्रम में शिरकत की।कार्यक्रम की कुशल व्यवस्था गोपाल ने तथा कार्यक्रम  का कुशल संचालन अमिताभ केवल ने किया।

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