तिब्बती स्टूडेंट्स के धार्मिक गतिविधियों में हिस्सा लेने पर रोक

पेइचिंग। पारंपरिक रूप से बौद्ध धर्म मानने वाले तिब्बत के बच्चों को गर्मी की छुट्टियों के दौरान किसी भी धार्मिक गतिविधि में शामिल होने से प्रतिबंधित कर दिया है। चीन के सरकारी समाचारपत्र ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक, एक शिक्षा अधिकारी ने यह जानकारी दी है कि छात्रों को इस संबंध में एक समझौते पर हस्ताक्षर करने हैं जिसमें लिखा गया है कि वे छुट्टियों के दौरान किसी भी धार्मिक गतिविधि का हिस्सा नहीं बनेंगे।चीन का यह फैसला हिमालयी क्षेत्र की पारंपरिक बौद्ध संस्कृति पर लगाई जा रही कड़ी पाबंदियों के तहत लिया गया माना जा रहा है ताकि वह इस क्षेत्र में धार्मिक गुरु दलाई लामा के प्रभाव को कम कर सके। दलाई लामा फिलहाल भारत में निर्वासन की जिंदगी जी रहे हैं।अखबार ने शिक्षा अधिकारी के हवाले से लिखा, छात्रों की निगरानी उनके माता-पिता और अध्यापक करेंगे। तिब्बत के शिक्षा विभाग से संपर्क करने के लिए कोई फोन नंबर उपलब्ध नहीं था और चीनी प्रशासन तिब्बत में विदेशी पत्रकारों की एंट्री को भी सीमित रखता है। तिब्बत को लेकर इस नए नियम से जुड़ी रिपोर्ट मंगलवार को ग्लोबल टाइम्स की वेबसाइट पर देखी गई। बता दें कि चीन दावा करता है कि तिब्बत बीती 7 शताब्दियों से उसके अधिकार क्षेत्र में आता है। इतना ही नहीं वह दलाई लामा को खतरनाक अलगाववादी भी मानता है। कई तिब्बतियों का मानना है कि 1950 में चीनी सेना के हमले से पहले वे आजाद थे। साल 2008 में भड़की हिंसा के बाद से तिब्बत में भारी संख्या में चीनी सैनिक तैनात हैं। चीनी प्रशासन अकसर बौद्ध धर्म संस्कृति को निशाने पर रखता है।

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