कारगिल विजय दिवस 2018: एलओसी और एलएसी पर हर चुनौती से निपटने के लिए भारतीय सेना

श्रीनगर: भारतीय सेना ने कहा है कि वह चीन से लगी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) और नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर किसी भी प्रकार की चुनौती से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार है। कारगिल विजय दिवस पर द्रास में आयोजित एक कार्यक्रम में उत्तरी कमान के कमांडर रनबीर सिंह ने कहा कि भारत-चीन सीमा पर चीनी सैनिक उन इलाकों में घुसपैठ करते हैं जहां सीमा रेखा स्पष्ट नहीं है।बता दें कि विस्तारवादी और आक्रामक चीन अकसर सीमा पर घुसपैठ कर जोर-आजमाइश करता रहता है। बीते साल तो चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी ने 426 बार घुसपैठ की थी। इनमें से करीब आधी बार दोनों देशों के सैनिक आमने-सामने आ गए थे। 2016 में यह आंकड़ा 273 का था, लेकिन बीते सालों में चीन की आक्रामकता लगातार बढ़ती जा रही है।भारत ने चीन की चुनौती से निपटने के लिए पूर्वी लद्दाख और सिक्किम में टी-72 टैंकों की तैनाती की है। वहीं अरुणाचल में ब्रह्मोस मिसाइलों और होवित्जर तोपों की तैनाती कर चीन के सामने शक्ति प्रदर्शन किया है। इसके अलावा पूर्वोत्तर में सुखोई-30 एमकेआई को भी उतारा गया है। बीते साल सर्दियों में चीनी सैनिकों के उत्तरी डोकलाम डेरा जमाने की घटना के बाद से भारतीय सेना ने यह बड़ा बदलाव और तैनाती की है। अकेले अरुणाचल प्रदेश की रक्षा के लिए 4 इन्फ्रेंट्री माउंटेड डिविजन्स को तैनात किया गया है। हर इन्फेंट्री में 12,000 सैनिकों को रखा गया है। इसके अलावा 2 डिविजंस को रिजर्व रखा गया है। खासतौर पर तवांग में, जिसे चीन दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा बताता है, सैनिकों की तैनाती पहले से कहीं अधिक है।

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