जामिया हमदर्द के खातों की जांच के लिए मांगी राष्ट्रपति की मंजूरी

जामिया हमदर्द में किसी भी तरह के बड़े फ्रॉड के केस का कोई संकेत नहीं है। यूजीसी में मौजूद सूत्रों ने भी कहा कि सेक्शन 14(2) के तहत किसी डीम्ड यूनिवर्सिटी की जांच सामान्य नहीं है।
नई दिल्ली। जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के अल्पसंख्यक दर्जे को लेकर चल रहे कानूनी विवाद के बीच अब जामिया हमदर्द यूनिवर्सिटी देश के ऑडिटर्स के निशाने पर आ गई है।सूत्रों को पता चला है कि डायरेक्टर जनरल ऑफ ऑडिट (डीजीएसीई) ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय को खत लिखकर जामिया हमदर्द के खातों की जांच के लिए राष्ट्रपति की विशेष अनुमति मांगने को कहा है। राष्ट्रपति से विशेष अनुमति की मांग इसलिए की गई है क्योंकि नियमों के मुताबिक किसी संस्थान की तब तक ऑडिटिंग नहीं की जा सकती, जब तक कि सरकार उसका 75 पर्सेंट खर्च न उठा रही हो।मंत्रालय ने जामिया हमदर्द के पिछले 5 साल के खातों को डीजीएसीई के पास भेजा है। उसने इनकी जांच के बाद पाया कि यह यह इंस्टीट्यूट सेक्शन 14(1) के तहत नहीं आ सकता। कंप्ट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल अमेंडमेंट एक्ट, 1971 का सेक्शन 14(1) जामिया हमदर्द के मामले में लागू नहीं होगा क्योंकि इसे यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (यूजीसी) से साल में सिर्फ 8 करोड़ रुपये मिलते हैं, जबकि इसका कुल खर्च 100 करोड़ रुपये से ज्यादा है। मिली जानकारी के मुताबिक डीजीएसीई ने इसलिए मंत्रालय से अनुरोध किया है कि वह सेक्शन 14(2) के तहत जांच करने के लिए राष्ट्रपति की विशेष अनुमित हासिल करे। इस सेक्शन के मुताबिक कैग राष्ट्रपति की विशेष अनुमति मिलने पर उन सभी संस्थानों की जांच कर सकता है, जिन्हें एक वित्त वर्ष में सरकार की तरफ से 1 करोड़ रुपये से अधिक की वित्तीय सहायता मिली हो। सेक्शन 14(2) के तहत डीजीएसीई की तरफ से जांच की इजाजत मांगने को लेकर कई सवाल भी उठ रहे हैं, क्योंकि इसके तहत ज्यादातर जांच की इजाजत तभी मांगी जाती है, जब सरकार को किसी तरह के फ्रॉड या वित्तीय अनियमितता का शक हो। डायरेक्टर जनरल ऑफ ऑडिट (सेंट्रल एक्सपेंडेचर) ममता कुंद्रा ने बताया कि जामिया हमदर्द के खातों की जांच करने की प्रक्रिया काफी लंबी होगी क्योंकि इसके लिए एचआरडी मिनिस्ट्री को फाइनेंस मिनिस्ट्री और राष्ट्रपति से विशेष अनुमति लेनी होगी। उन्होंने कहा कि सभी प्रक्रियाओं का पालन किया जाएगा।हालांकि सूत्रों ने संकेत दिया कि राष्ट्रपति की मंजूरी लेने के लिए मिनिस्ट्री हिचक रही है क्योंकि जामिया हमदर्द में किसी भी तरह के बड़े फ्रॉड के केस का कोई संकेत नहीं है। यूजीसी में मौजूद सूत्रों ने भी कहा कि सेक्शन 14(2) के तहत किसी डीम्ड यूनिवर्सिटी की जांच सामान्य नहीं है।

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