लखनऊ। हिंदू पुराणों के अनुसार आषाढ़ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन ही महर्षि वेद व्यास का जन्म हुआ था। महर्षि के सम्मान में इसे गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। भारतवर्ष में कई विद्वान गुरु हुए हैं, किन्तु महर्षि वेद व्यास प्रथम विद्वान थे, जिन्होंने सनातन धर्म (हिन्दू धर्म) के चारों वेदों की व्याख्या की थी। सिख धर्म केवल एक ईश्वर और अपने दस गुरुओं की वाणी को ही जीवन का वास्तविक सत्य मानता है।
गुरु पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त
26 जुलाई 2018 की रात 11:16 बजे से गुरु पूर्णिमा की तिथि शुरू हो हुई जो 27 जुलाई 2018 की रात 01:50 बजे तक रहेगी। गुरु पूर्णिमा के दिन सुबह उठकर स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें। फिर घर के मंदिर में किसी चौकी पर सफेद कपड़ा बिछाकर उस पर 12-12 रेखाएं बनाकर व्यास-पीठ बनाएं। इसके बाद इस मंत्र का उच्चारण करें- ‘गुरुपरंपरासिद्धयर्थं व्यासपूजां करिष्ये’. पूजा के बाद अपने गुरु या उनके फोटो की पूजा करें। आषाढ़ की पूर्णिमा का अर्थ है कि गुरु तो पूर्णिमा के चंद्रमा की तरह हैं जो पूर्ण प्रकाशमान हैं और शिष्य आषाढ़ के बादलों की तरह।
गुरु पूर्णिमा तिथि: 27 जुलाई 2018
गुरु पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 26 जुलाई 2018 की रात 11:16 बजे
गुरु पूर्णिमा तिथि समाप्त: 27 जुलाई 2018 की रात 01:50 बजे
आषाढ़ की पूर्णिमा का महत्व
आषाढ़ में चंद्रमा बादलों से घिरा रहता है जैसे बादल रूपी शिष्यों से गुरु घिरे हों। शिष्य सब तरह के हो सकते हैं, जन्मों के अंधेरे को लेकर आ छाए हैं। वे अंधेरे बादल की तरह ही हैं। उसमें भी गुरु चांद की तरह चमक सके, उस अंधेरे से घिरे वातावरण में भी प्रकाश जगा सके, तो ही गुरु पद की श्रेष्ठता है। इसलिए आषाढ़ की पूर्णिमा का महत्व है! इसमें गुरु की तरफ भी इशारा है और शिष्य की तरफ भी। यह इशारा तो है ही कि दोनों का मिलन जहां हो, वहीं कोई सार्थकता है।
गुरु पूर्णिमा का महत्व
गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु की पूजा का विधान है। दरअसल, गुरु की पूजा इसलिए भी जरूरी है क्योंकि उसकी कृपा से व्यक्ति कुछ भी हासिल कर सकता है। गुरु की महिमा अपरंपार है। गुरु के बिना ज्ञान की प्राप्ति नहीं हो सकती। गुरु को तो भगवान से भी ऊपर दर्जा दिया गया है।इस दिन गुरु की पूजा की जाती है। पुराने समय में गुरुकुल में रहने वाले विद्यार्थी गुरु पूर्णिमा के दिन विशेष रूप से अपने गुरु की पूजा-अर्चना करते थे। गुरु पूर्णिमा वर्षा ऋतु में आती है। इस मौसम को काफी अच्छा माना जाता है। इस दौरान न ज्यादा सर्दी होती है और न ही ज्यादा गर्मी। इस मौसम को अध्ययन के लिए उपयुक्त माना गया है। यही वजह है कि गुरु पूर्णिमा से लेकर अगले चार महीनों तक साधु-संत विचार-विमर्श करते हुए ज्ञान की बातें करते हैं।
21वीं सदी का सबसे लंबा चंद्र ग्रहण
आज 27 जुलाई को 21वीं सदी का सबसे लंबा चंद्र ग्रहण पड़ रहा है। ये चंद्र ग्रहण लगभग चार घंटे रहेगा। यह ग्रहण पूरे भारत में दिखाई देगा और इसे बिना किसी उपकरण के आसानी से देखा जा सकेगा। पूर्ण चंद्र ग्रहण की शुरुआत भारतीय समय के मुताबिक 27 जुलाई को रात 11:54:02 बजे होगी। चंद्र ग्रहण 28 जुलाई को सुबह 3:49 बजे समाप्त होगा। इस चंद्र ग्रहण में चंद्रमा लाल रंग का दिखेगा, जिसे ब्लड मून भी कहा जाता है।
8 साल बाद गुरु पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण
आज पूर्णिमा और ग्रहण का एक साथ होना कई संयोग बना रहा है। ज्योतिषों की मानें तो 18 साल बाद गुरु पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है। इससे साल 2000 में 16 जुलाई को गुरु पूर्णिमा के दिन ऐसा चंद्रग्रहण लगा था।खगोलशास्त्री बताते हैं कि करीब 150 साल बाद ऐसा चंद्रग्रहण लगने जा रहा है। 27 जुलाई को मध्यरात्रि में होने वाला से ग्रहण सदी का सबसे लंबा ग्रहण भी होने जा रहा है। ग्रहण की कुल अवधि 3:54:33 बजे है।
पृथ्वी के बेहद करीब होगा मंगल
चंद्रग्रहण काल के दौरान मंगल पृथ्वी के बेहद करीब होगा। इस संयोग के कारण ज्योतिषी इस ग्रहण को काफी प्रभावशाली मान रहे हैं।चंद्रग्रहण के दौरान मंगल और केतु के बीच त्रिग्रही योग बनेगा। केतु के साथ मकर राशि में चंद्रमा के होने से भी ग्रहण योग बन रहा है। जब चंद्रमा और केतु किसी राशि में एकसाथ होते हैं तब ऐसा योग बनता है। यह पूर्ण खग्रास होगा अर्थात पूरा चंद्रग्रहण। यह चंद्रग्रहण इसलिए भी बेहद खास है क्योंकि एक ही साल में यह दूसरा ब्लडमून चंद्रग्रहण होगा।