रोहिंग्या शरणार्थियों को वापस भेजा जाएगा: राजनाथ

नई दिल्ली। असम में नैशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन (एनआरसी) में 40 लाख लोगों को शामिल न किए जाने के मुद्दे पर संसद में मंगलवार को दूसरे दिन भी हंगामा हुआ। तृणमूल कांग्रेस की अगुआई में कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, आम आदमी पार्टी और वाम दलों ने पहले संसद परिसर और फिर सदन में सरकार पर हमला बोला। एनआरसी के बीच संसद में रोहिंग्या शरणार्थियों का मुद्दा भी उठा। विपक्ष के विरोध से बेपरवाह गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने सदन को बताया कि भारत सरकार की इस विषय पर म्यांमार से बातचीत चल रही है। उन्होंने फरवरी 2018 में जारी अडवाइजरी का जिक्र कर राज्य सरकारों से रोहिंग्याओं पर नजर रखने की अपील की।विपक्ष के सांसद एनआरसी पर लोकसभा में चर्चा की मांग कर रहे थे लेकिन, स्पीकर ने यह कहते हुए विपक्ष की मांग ठुकरा दी कि इसपर सोमवार को चर्चा हो चुकी है और गृहमंत्री इसपर बयान दे चुके हैं। इसके बाद लोकसभा में शोर-शराबा होने लगा। राजनाथ सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार रोहिंग्याओं के मुद्दे पर अडवाइजरी जारी कर चुकी है। विपक्षी पार्टियों के सरकार के भेदभाव के आरोप पर राजनाथ सिंह ने कहा, राज्य सरकारों से आग्रह किया है कि वे राज्य में रोहिंग्याओं की संख्या आदि के बारे में गृह मंत्रालय को सूचना दें। इसी के आधार पर जानकारी विदेश मंत्रालय को दी जाएगी और विदेश मंत्रालय म्यांमार के साथ इनको डिपोर्ट करने पर बातचीत करेगा। राजनाथ सिंह ने कहा,  रोहिंग्याओं की पहचान आवश्यक है और बॉयोमीट्रिक जांच के जरिए रोहिंग्याओं की पहचान की जा सकती है। गृह राज्य मंत्री किरन रिजिजू ने कहा कि रोहिंग्या भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए चुनौती हैं।संसद में रोहिंग्याओं के मुद्दे पर तीखे सवाल जवाब भी हुए। टीएमसी सांसद सौगत रॉय ने आरोप लगाया कि सरकार बांग्लादेश में रह रहे रोहिंग्याओं के लिए ऑपरेशन इंसानियत चला रही है, भारत में रहनेवालों के लिए नहीं। किरन रिजिजू ने कहा कि सांसद का ऐसा बयान दुर्भाग्यपूर्ण है। टीएमसी का रवैया शरणार्थियों के लिए नर्म रहा है और यह दुखद है।

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