मनोज कुमार से तुलना को लेकर आप पर कुछ दबाव होगा ?
सच पूछिए तो मैं उस ओर ध्यान ही नही देता वो एक महान हस्ती है हम दोनों की फ़िल्म बनाने का तरीका भी बिल्कुल जुदा है मैं उनके आस-पास भी पहुँच जाऊ तो बड़ी बात है।
आपने लगातार तीन देशभक्तों की बायोपिक फिल्में बनायीं आपको टाइपकास्ट होने का डर नही था ?
जय जवान जय किसान के बाद चापेकर ब्रदर्स की स्क्रिप्ट तैयार थी फिर खुदीराम का विचार आया ये सब इतनी जल्दी में होता गया की कुछ सोचने का मौका ही नही मिला । कुछ अलग करने की चाहत से ग़ालिब का जन्म हुआ।
एक बार फिर दीनदयाल एक युगपुरुष से अपने पुराने ढर्रे पर लौट रहे हैं ?
न ऐसा नही है दीनदयाल एक युगपुरुष पूर्णतः बायोपिक नही हैं बल्कि उनके जीवन के महत्वपूर्ण घटनाओं के साथ उनकी मृत्यु पर जो संदेह है उस पर गहराई से प्रकाश डालती हैं।
आपने आगे की फिल्मों में कैसी विवधता देखने को मिलेगी ?
मैं ऐसी कोई योजना बना कर फिल्में नही बनाता ,अक्सर कोई विषय दिमाग में आता हैं फिर वो कहानी का रूप लेती है फिर मंथन शुरू होता है कि इसे फ़िल्म का रूप दिया जा सकता है की नही ।
दीनदयाल एक युगपुरुष से अनिता राज वापसी कर रही है आप अक्सर ऐसे कलाकार को चुनते हैं जिन्होंने लम्बे समय से काम नही किया हो?
इसमें पूरी सच्चाई नही हैं स्वर्गीय ओम पुरी, प्रेम चोपड़ा, ऋतुपर्णो घोष और गोविंद नामदेव व्यस्त कलाकारों में आते है दीपिका चिखलिया भी टीवी करना शुरू कर दिया था, मै अकसर ये सोचता हुँ की मेरे किरदारों के लिए कौन सा कलाकार सही रहेगा यही मेरी प्राथमिकता भी होती है ।