कानपुर। दिल्ली-हावड़ा रूट पर ट्रेनों की लेटलतीफी से परेशान यात्रियों के लिए अच्छी खबर है। 2018 के नवंबर में ईस्टर्न फ्रेट कॉरिडोर (ईडीएफसी) का खुर्जा-कानपुर के बीच का काम पूरा हो जाएगा। इसके बाद मालगाडिय़ों को उधर शिफ्ट कर यात्री ट्रेनों को तेज रफ्तार और सही समय पर चलाया जा सकेगा। उत्तर मध्य रेलवे के सीपीआरओ गौरव कृष्ण बंसल के अनुसार, 350 किमी लंबे सेक्शन का काम 78 फीसदी पूरा हो चुका है।दरअसल हाल की स्थिति में दिल्ली-हावड़ा रूट पर गाजियाबाद से कानपुर सेक्शन के बीच ट्रैक का 161 प्रतिशत इस्तेमाल किया जा रहा है। मुगलसराय से गाजियाबाद के बीच हर दिशा में 42-45 गाडिय़ां और एक बार में 80-85 ट्रेनें चलाई जा रही हैं। आदर्श स्थिति में इस सेक्शन में 22 ट्रेनें ही चलनी चाहिए। एक के पीछे एक ट्रेनों के चलने के कारण कम स्पीड और लेट होने जैसी दिक्कतें चरम पर पहुंच गई हैं। इसके अलावा 2016-17 में हुए ट्रेन हादसों के दौरान भी हालात पूरी तरह बेकाबू हो चुके हैं। ऐसे में भविष्य के लिहाज से देश के इस महत्वपूर्ण रूट पर ट्रेनों की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए रेलवे ने यह बड़ा कदम उठाया है।रेलवे की ओर से पिछले कई साल से ईस्टर्न डेडिकेटिड फ्रेट कॉरिडोर पर काम जारी है। बंसल के अनुसार, कानपुर (भाऊपुर)-खुर्जा सेक्शन की 350 किमी की दूरी के लिए डबल लाइन तैयार है और सिविल वर्क 85 प्रतिशत पूरा हो चुका है। नई ट्रैक कंस्ट्रक्शन मशीन से ट्रैक और ओवरहेड वायर के साथ पोल भी मशीनों से फिट किए जा रहे हैं, इससे 40 प्रतिशत समय की बचत हुई है। रेलवे के मुताबिक मालगाडिय़ों के लिए बनाए गए इस कॉरिडोर में 24 घंटे में 240 गाडिय़ां चलाई जा सकेंगी, जिसके लिए इस रूट पर 5500 करोड़ रुपये किए गए हैं। फिलहाल इस सेक्शन में मालगाडिय़ां 60-80 किमी और राजधानी जैसी ट्रेनें 120-130 की स्पीड से चलती हैं। बाकी यात्री ट्रेनें 110 की स्पीड से चलती हैं। इस अंतर के कारण ट्रेनों को रास्ता देने की समस्या होती है। मालगाडिय़ों के कॉरिडोर में शिफ्ट होने के बाद यात्री ट्रेनों की गति बढ़ाकर 160 किमी प्रति घंटा तक की जाएगी। इससे ट्रेनों के समयबद्ध संचालन में भी मदद मिल सकेगी।
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