नई दिल्ली। चीन के भारत-प्रशांत क्षेत्र में बेल्ट ऐंड रोड इनिशिएटिव से मुकाबले के लिए अमेरिका की अगुवाई में शुरू किए गए एक अभियान में भारत शामिल नहीं होगा। अमेरिका ने जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ मिलकर इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रॉजेक्ट्स को फंड देने की योजना बनाई है।सूत्रों ने बताया कि अमेरिका की अगुवाई वाली इस त्रिपक्षीय पहल में शामिल नहीं होने का फैसला इस क्षेत्र में ध्रुवीकरण से बचने की खातिर किया गया है। हालांकि, बीआरआई को लेकर भारत की आपत्तियां बरकरार हैं, लेकिन साथ ही वह भारत-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता चाहता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिंगापुर में 1 जून को शांगरी ला शिखर सम्मेलन में स्पष्ट किया था कि भारत ने कभी भी इस क्षेत्र को एक रणनीति या कुछ देशों के समूह के तौर पर नहीं देखा।अमेरिका की अगुवाई वाली त्रिपक्षीय पार्टनरशिप का मकसद भारत- प्रशांत क्षेत्र में मौजूद देशों को इन्फ्रास्ट्रक्चर, डिवेलपमेंट, कनेक्टिविटी बढ़ाने और इकनॉमिक ग्रोथ को बढ़ावा देने वाले प्रोजेक्ट्स के लिए फंड दिलाना है। अमेरिका ने इस क्षेत्र में डिजिटल इकनॉमी, एनर्जी और इन्फ्रास्ट्रक्चर डिवेलपमेंट प्रॉजेक्ट्स के लिए 11.3 करोड़ डॉलर देने का वादा किया है। वह क्षेत्र की सुरक्षा योजनाओं के लिए भी फंड उपलब्ध कराएगा। पिछले वर्ष नवंबर में दोबारा शुरू किए गए चड ग्रुप का भारत हिस्सा है। इसमें अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान भी शामिल हैं। हालांकि, इसके साथ मोदी सरकार चीन से संबंध बेहतर बनाने की कोशिश कर रही है। भारत और चीन के बीच हाल के महीनों में कुछ हाई लेवल मीटिंग हुई हैं। इसकी शुरुआत चीन के वुहान में 27-28 अप्रैल को मोदी की चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के साथ अनौपचारिक मीटिंग से हुई थी।इसके बाद मोदी और चिनफिंग ने जून में शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन समिट और जुलाई में दक्षिण अफ्रीका के जोहानसबर्ग में ब्रिक्स समिट के दौरान भी मुलाकात की थी। आने वाले महीनों में भारत और चीन के रक्षा, विदेश और गृह मंत्रियों के बीच भी मीटिंग होनी है। भारत ने नवंबर 2017 में अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ मिलकर भारत-प्रशांत क्षेत्र पर विचार-विमर्श के लिए चड को दोबारा लॉन्च किया था। चड की दूसरी मीटिंग कुछ महीने पहले सिंगापुर में हुई थी। भारत-जापान-ऑस्ट्रेलिया के बीच त्रिपक्षीय बातचीत का अगला दौर इसी साल होना है। इसके साथ ही भारत और अमेरिका के बीच 6 सितंबर को नई दिल्ली में होने वाली बातचीत में भी अन्य मुद्दों के साथ भारत-प्रशांत क्षेत्र पर चर्चा की जाएगी। इस क्षेत्र को लेकर रूस के साथ भी भारत अलग से एक वार्ता करेगा।
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