दस्तावेज में संदेह पर नागरिकों को भी पासपोर्ट नहीं, इमिग्रेशन फ्रॉड पर अमेरिका सख्त

वॉशिंगटन। इमिग्रेशन फ्रॉड को लेकर अमेरिका अब काफी सख्त हो गया है। अधिकारियों को साफ निर्देश हैं कि विदेशी मूल के अमेरिका में जन्मे नागरिकों पर भी शक हो तो उन्हें किसी तरह की छूट न दी जाए। ऐसे में अमेरिकी अधिकारी पासपोर्ट आवेदकों की जांच-पड़ताल अब ज्यादा कर रहे हैं। ट्रंप प्रशासन की ओर से अधिकारियों को निर्देश मिले हैं कि अगर जन्म प्रमाण-पत्र के फर्जी होने का जरा भी संदेह हो तो यूएस में जन्मे नागरिकों को भी पासपोर्ट देने से मना कर दिया जाए। ऐसे लोगों की नागरिकता भी सवालों के घेरे में आ जाएगी।कुछ मामलों में ऐसा भी देखा गया है कि पासपोर्ट आवेदकों को इमिग्रेशन डिटेंशन सेंटरों में जेल भी हो गई और देश से निष्कासित करने की कार्यवाही भी शुरू हो गई। अमेरिकी नागरिक बलजिंदर सिंह जैसे कुछ गंभीर मामलों में तो नागरिकता को रद्द कर जनवरी में उसे भारत डिपोर्ट कर दिया गया। हालांकि ऐसे मामले कम ही हैं। एक इमिग्रेशन अटर्नी ने कहा कि भारत से आने वाले लोगों के नाम, स्पेलिंग और जन्म तिथि के दस्तावेजों को लेकर ज्यादा समस्या होती है।संदिग्ध आधार पर शरण मांगने वाले विदेशी नागरिकों पर भी पैनी नजर रखी जा रही है। 43 वर्षीय बलजिंदर सिंह के केस में, अमेरिकी अधिकारियों ने कहा कि वह 25 सितंबर 1991 को सैन फ्रांसिस्को इंटरनैशनल एयरपोर्ट पर उतरा था। उसके पास कोई यात्रा दस्तावेज या पहचान पत्र नहीं था जिससे साबित हो कि उसका नाम दविंदर सिंह है। उसे देश से निकालने की कार्यवाही में शामिल किया गया लेकिन वह इमिग्रेशन कोर्ट की सुनवाई में नहीं पहुंचा। आखिरकार उसे 7 जनवरी 1992 को डिपोर्ट कर दिया गया। चार हफ्ते बाद 6 फरवरी 1992 को उसने शरण के लिए बलजिंदर सिंह के नाम से आवेदन किया। उन्होंने भारतीय होने का दावा किया जो बिना जांच के अमेरिका पहुंचा। बाद में सिंह ने अमेरिकी नागरिक से शादी की और कानून के तहत आवेदन को रद्द कर दिया गया। आखिरकार 28 जुलाई 2006 को बलजिंदर सिंह के नाम से उसे नागरिकता मिल गई और तब से वह न्यू जर्सी में रह रहा था। जस्टिस विभाग के सिविल डिविजन के सहायक अटर्नी जनरल चाड रेडलर ने कहा, डिफेंडेंट ने हमारे इमिग्रेशन सिस्टम का दुरुपयोग किया और गैरकानूनी तरीके से इमिग्रेशन का फायदा उठाया। वॉशिंगटन पोस्ट की पड़ताल के मुताबिक विदेशी मूल के अमेरिका में जन्मे नागरिकों को भी अब संदेह की नजर से देखा जा रहा है।

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