नई दिल्ली। अभी यह अनुमान लगाना संभव नहीं है कि भूकंप कब आएगा। हालांकि भूकंप के बाद के हालात में आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) बड़ी भूमिका निभा सकता है। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक और गूगल मिलकर एक एआई सिस्टम पर काम कर रहे हैं जिससे दुनियाभर में भूकंप के डेटाबेस का विश्लेषण किया जा सके। दरअसल, इस डेटाबेस के जरिए यह अनुमान लगाया जाएगा कि भूकंप के बाद झटके कहां आ सकते हैं।रिसर्चरों का कहना है कि आफ्टरशॉक्स के बारे में जानकारी मिलने से आपातकालीन सेवाओं की शुरुआत और मलबे में दबे लोगों को बाहर निकालने को लेकर प्लान तैयार करने में काफी मदद मिल सकती है। आपको बता दें कि सामान्य तौर पर भूकंप का पहला झटका बड़ा होता है और उसके बाद कम तीव्रता के कई झटके महसूस किए जाते हैं।भूकंप आने के बाद राहत एवं बचाव कार्य शुरू हो जाता है और अगर कम तीव्रता के झटके आते हैं तो इससे अभियान प्रभावित हो सकता है। रिसर्चरों का कहना है कि उन्होंने दुनियाभर में आए 118 से ज्यादा बड़े भूकंपों की जानकारी जुटाई है। फिलहाल भूकंप के बाद के झटकों की टाइमिंग और साइज को लेकर समझ विकसित हुई है और कुछ नियमों के द्वारा इसे समझाया भी जा चुका है पर लोकेशन के बारे में अनुमान लगाना ज्यादा चुनौतीपूर्ण है।
रिसर्चरों ने कुल 1,31,000 बड़े भूकंप और उसके बाद आए झटकों का डेटा खंगाला है और इसे एआई सिस्टम में डाला है। इसके बाद भूकंप और झटकों के बीच संबंध का विश्लेषण किया गया है, जिससे लोकेशन को लेकर अनुमान जताया जा सके।