अहमदाबाद। गुजरात के पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट को 1998 के मादक पदार्थ से जुड़े एक मामले में बुधवार को हिरासत में ले लिया गया। इससे पहले संजीव भट्ट को गुजरात की सीआईडी क्राइम पूछताछ के लिए ले गई थी। इस बीच संजीव भट्ट को हिरासत में लिए जाने के बाद डीजीपी ऑफिस के चौथे और पांचवें फ्लोर पर प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया गया है।बताया जा रहा है कि संजीव भट्ट को 1998 में पालनपुर में मादक पदार्थों की खेती के एक मामले में अरेस्ट किया गया है। 1998 में संजीव भट्ट बनासकांठा के डीसीपी थे। बताया जा रहा है कि संजीव भट्ट के अलावा छह अन्य लोगों को भी इस मामले में हिरासत में लिया गया है। सीआईडी क्राइम ने कहा है कि इन सभी लोगों को साक्ष्यों के आधार पर हिरासत में लिया गया है। संजीव भट्ट को किसी भी समय अरेस्ट किया जा सकता है। बता दें कि गुजरात सरकार ने 1988 बैच के आईपीएस संजीव भट्ट को बर्खास्त कर दिया गया है। भट्ट को अहमदाबाद में सरकारी गाड़ी और पुलिस कमांडो का इस्तेमाल करने की वजह से बर्खास्त किया गया। भट्ट गुजरात दंगों के संदर्भ में पीएम नरेंद्र मोदी के विरोध को लेकर चर्चा में रहे हैं। बर्खास्तगी के पीछे गुजरात सरकार ने अनुशासनहीनता को आधार बनाया था। सरकार ने कहा था कि संजीव भट्ट की पोस्टिंग जूनागढ़ में की गई थी, लेकिन काफी वक्त बीतने के बावजूद उन्होंने जूनागढ़ में जॉइनिंग नहीं की। सरकार के मुताबिक जूनागढ़ में पोस्टिंग होने के बावजूद वह अहमदाबाद में रहे और वहां सरकारी गाड़ी और पुलिस कमांडो का प्रयोग करते रहे। बर्खास्तगी के बाद संजीव भटट् ने अपनी फेसबुक प्रोफाइल पर लिखा था, भारतीय पुलिस सेवा में 27 साल की सेवा देने के बाद आखिरकार हटा दिया गया। एक बार फिर रोजगार के लिए योग्य हो गया हूं। गौरतलब है कि जिस समय नरेंद्र मोदी गुजरात के सीएम थे, भट्ट ने उन्हें दंगे का आरोपी बताया था। भट्ट के मुताबिक वह उस मीटिंग में मौजूद थे, जिसमें मोदी ने कहा कि हिंदुओं को बदला लेने का मौका दिया जाना चाहिए।
पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट हिरासत में लिए गए
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