सत्येन्द्र कुमार सिंह, लिटरेरी एडिटर-ICN
चंदंन की डाली
ओढ़ती चादर चांदनी की,
गुजरती रात
में उपजता सपना,
नि:शब्द मुस्कराहट
मोतियों सी,
ख़्वाहिशों के
बिस्तर पर पल्लवित होती
प्रेरणा देती
सुरीली आहट
कि
रात ढल रही है
विरह की तरह
और
बनती दिख रही है
धूप की सीधी सड़क ।
कविता संग्रह नमक घावानुसार….