नई दिल्ली। रोजाना इस्तेमाल वाले प्रॉडक्ट्स की कीमतों में तीसरी तिमाही से 5 से 8 पर्सेंट की बढ़ोतरी हो सकती है। कई बड़ी कंपनियों ने तो पहले ही दाम बढ़ा दिए हैं। इन कंपनियों ने महंगाई के दबाव को इसकी वजह बताया है, जिसमें पेट्रोल के रेकॉर्ड लेवल पर पहुंचने, मिनिमम सपोर्ट प्राइस (एमएसपी) में बढ़ोतरी और कुछ कमोडिटीज की कीमतों में वृद्धि शामिल हैं। पेट्रोल और डीजल की कीमतों में लगातार वृद्धि हो रही है। शुक्रवार को भी दिल्ली-मुंबई सहित देश के चारों महानगरों में इनकी कीमत करीब 50 पैसे बढ़ गई।लिस्टेड बिस्किट कंपनी ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज के मैनेजिंग डायरेक्टर, वरुण बेरी ने कहा, महंगाई बढ़ रही है। ऐसे में प्रॉडक्ट्स के दाम को पहले वाले लेवल पर रखना संभव नहीं है। हम कीमतों में 5 पर्सेंट की बढ़ोतरी के साथ इसकी शुरुआत कर रहे हैं। हम इसके साथ वैल्यू और वॉल्यूम ग्रोथ में संतुलन बनाने की कोशिश करेंगे। कई कंपनियों के लिए यह पिछले 2 साल में दाम में सबसे बड़ी बढ़ोतरी होगी।ग्लोबल लेवल पर क्रूड के दाम बढऩे के साथ पेट्रोल की कीमतें इस समय 85 रुपये प्रति लीटर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई हैं, जिसका एफएमसीजी कंपनियों पर सीधा असर पड़ता है। हाल ही में ब्रोकरेज फर्म जेफरीज की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि कंज्यूमर गुड्स सेक्टर की दिग्गज कंपनी हिंदुस्तान यूनिलीवर ने डिटर्जेंट्स, स्किन केयर और कुछ चुनिंदा साबुन ब्रांड्स की कीमतों में पिछले महीने 5 से 7 पर्सेंट की बढ़ोतरी की है। पैराशूट और मैरिको ने हेयर ऑयल पोर्टफोलियो में 7 पर्सेंट की बढ़ोतरी की है, जबकि ओरल केयर फर्म कोलगेट पामोलिव ने कुछ ब्रांड्स के दाम पिछले महीने 4 पर्सेंट तक बढ़ाए थे।स्नैक्स और कंफेक्शनरी बनाने वाली कंपनी पारले प्रॉडक्ट्स के बिस्किट वर्टिकल के सीनियर कैटेगरी हेड, बी कृष्ण राव ने बताया, हम दाम में 7-8 पर्सेंट तक बढ़ोतरी करने वाले हैं। सिर्फ एमएसपी में बढ़ोतरी से हमारी लागत 10-12त्न बढ़ गई है। हम इसका पूरा बोझ ग्राहकों पर नहीं डाल रहे हैं। पिछले एक महीने में क्रूड के दाम में 7 पर्सेंट और एक साल में 47 पर्सेंट की बढ़ोतरी हुई है। एनालिस्टों का कहना है कि रुपये में कमजोरी से ज्यादातर कंपनियों की पैकेजिंग लागत भी बढ़ेगी। बॉटल्स और ट्यूब, दोनों तरह के पैकेजिंग मैटीरियल में पेट्रोलियम डेरिवेटिव का इस्तेमाल किया जाता है। कुछ फूड प्रॉडक्ट्स की पैकेजिंग में पाम ऑयल बायप्रॉडक्ट्स का भी इस्तेमाल होता है, लेकिन इस पर भी इम्पोर्ट ड्यूटी बढऩे से कंपनियों की लागत पर असर पड़ा है। इस साल मार्च में क्रूड पाम ऑयल पर ड्यूटी को 30 पर्सेंट से बढ़ाकर 44 पर्सेंट और रिफाइंड पाम ऑयल पर ड्यूटी को 40 पर्सेंट से बढ़ाकर 54 पर्सेंट किया गया था।
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